धीरेंद्र का प्रदेश अध्यक्ष पर गंभीर आरोप- 17 लाख न देने पर औरंगाबाद सीट राजद की झोली में डाली

बिहार में किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह पर बड़े और गंभीर आरोप लगाए हैं। इसे लेकर उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र भी लिखा है। पत्र के माध्यम से धीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पार्टी को दुर्गति की ओर ले जाने के प्रति ध्यान आकृष्ट कराया है।

‘राजद प्रेम के कारण पार्टी को तीन सीटों पर करना पड़ा संतोष’
धीरेंद्र कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह की गलत नीति और राजद से प्रेम के चलते ही पार्टी को बिहार में तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा, नहीं तो जो स्थिति बनी थी उसमें कांग्रेस को नौ में से सात सीटों पर चुनाव में विजय मिलनी तय थी। उन्होंने कहा कि किसी भी दल के गठबंधन में बात बनने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीटों की घोषणा की जाती है, लेकिन बिना घोषणा किए ही राजद ने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार को सिंबल दे दिया।

इसके बाद भी डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने राजद प्रेम में पार्टी के हित में कोई निर्णय नहीं लिया। इस कारण उन सीटों पर महागठबंधन की जीत नहीं हुई, जहां होनी चाहिए थी। उन सीटों को कांग्रेस के माध्यम से राजद की ओर बढ़ा दिया गया।

‘औरंगाबादपूर्णिया और बेगूसराय की सीट की चढ़ा दी बलि
किसान कांग्रेस नेता धीरेंद्र कुमार सिंह ने आगे कहा कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने सबसे पहले पार्टी की परंपरागत औरंगाबाद, पूर्णिया और बेगूसराय की सीट की बलि दे दी। इसके बाद उन्होंने नौ में से छह सीटों के लिए बाहरी उम्मीदवार को लाकर टिकट देने का काम किया। इसमें पैसे का भी खूब लेनदेन हुआ और उन सीटों का परिणाम क्या हुआ, यह सामने है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी मैंने 12 मई को खरगे साहब, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और मोहन प्रकाश को भी पत्र भेजा था। उसमें मैंने स्पष्ट रूप से कहा था कि किशनगंज और कटिहार की सीट पार्टी के उम्मीदवार अपने बलबूते पर जीतेंगे। बाकी किसी भी सीट पर जीत आसान नहीं थी। परंतु पार्टी ने सासाराम सीट पर अंत-अंत तक विजय प्राप्त की। यह पार्टी के लिए गर्व की बात है।

‘…तो कांग्रेस पार्टी छह सीटें जीतती’
उन्होंने कहा कि औरंगाबाद, पूर्णिया और बेगूसराय की सीट कांग्रेस के हिस्से में होती तो आज हमारी पार्टी की सीटों की संख्या छह होती। परंतु डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपने पुत्र प्रेम में पार्टी की बलि दे दी और पूर्णिया की सीट पप्पू यादव के लिए राजद से मुक्त नहीं करा सके। जबकि पप्पू यादव ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। इसके बावजूद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह पप्पू यादव के लिए पूर्णिया की सीट को नहीं बचा सके। ऐसा इसलिए किया ताकि मजबूत नेता से उनकी राजनीति को दिक्कत न हो। इसके बाद वे पप्पू यादव को हराने के कार्य में भी लग गए।

‘पप्पू यादव को हराने के लिए अपनाया हर हथकंडा’
उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को इसकी नैतिक जिम्मेवारी लेनी चाहिए कि अपने पुत्र को जिताने के लिए उन्होंने पूरे बिहार कांग्रेस के लोगों को एकत्र किया, फिर भी अपने पुत्र को नहीं जिता सके। पूर्णिया की सीट को हराने के लिए हर हथकंडा अपनाया, फिर भी पप्पू यादव ने चुनाव जीत कर उनकी मंशा पर पानी फेर दिया।

‘औरंगाबाद की सीट राजद की झोली में डाली’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश अध्यक्ष ने औरंगाबाद जिला कांग्रेस कमेटी से 17 लाख रुपये की मांग की थी, जिसे जिला कांग्रेस कमेटी ने नहीं दिया। इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष का कहना था कि राहुल गांधी के औरंगाबाद के कार्यक्रम में भोजन में 17 लाख रुपये खर्च हुए थे। जबकि हकीकत यह है कि औरंगाबाद में राहुल गांधी रुके ही नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने पैसे मांगे। जिला कांग्रेस कमिटी द्वारा पैसे न दिए जाने के गुस्से में औरंगाबाद की सीट को उन्होंने राजद की झोली में डाल दिया। वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के नेतृत्व से मांग करते है कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर किसी भी पुराने कांग्रेसी को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। अभी डेढ़ वर्षों का समय बचा है। अभी भी पार्टी की लाज हम लोग बचा सकते हैं। राहुल गांधी के न्याय यात्रा के बाद बिहार में पार्टी के प्रति लोगों का रुझान आने लगा था। जरूरत थी उसे भुनाने की, लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह उसे पार्टी के पक्ष में भुना नहीं सके। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा और पार्टी के विजय श्री की सीटों की संख्या आधी हो गई।

Bihar: Congress leader Dhirendra Kumar Singh accuses state president Akhilesh Prasad Singh of Aurangabad seat

कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह (फाइल) – फोटो : अमर उजाला‘पैसे लेकर टिकट बेचने वाले प्रदेश अध्यक्ष को हटाएं’
किसान कांग्रेस नेता ने कहा कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने बाहर के उम्मीदवारों को टिकट दिया। अगर वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ता को टिकट देते तो चुनाव हारने के बावजूद वह कम से कम पार्टी का झंडा तो ढोता। लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को पैसा चाहिए था। उन्होंने पैसे लेकर टिकट बेचे। वे केंद्रीय नेतृत्व से मांग करते हैं कि किसी भी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाएं, लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाए और कांग्रेस पार्टी को बिहार में बचाएं। साथ ही पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाएं। हर कार्यकारी अध्यक्ष को दो प्रमंडलों का प्रभार दिया जाए। साथ ही उन्हें हिदायत दी जाए कि माह में छह दिन प्रमंडल में निवास करें और अपने जिले की कमिटी को मजबूत करें। इस तरह 243 विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाए। प्रत्येक जिले में महासचिव और प्रभारी सचिव की नियुक्ति की जाए। एक माह में प्रदेश कमेटी तैयार की जाए और हम संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से बेशक 2025 में हमारी सरकार होगी, लेकिन यह डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह के रहते संभव नहीं है। इसलिए कि अखिलेश प्रसाद सिंह को सिर्फ और सिर्फ पैसा चाहिए, वे पैसे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कहीं भी पार्टी को बंधक रख सकते हैं। उनकी केंद्रीय नेतृत्व से मांग है कि किसी के कहने पर किसी को अध्यक्ष न बनाया जाए। किसी के कहने पर किसी पार्टी के साथ गठबंधन न बनाया जाए। कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श कर केंद्रीय कमेटी के द्वारा पर्यवेक्षकों की टीम भेजी जाए।

उस टीम को यह हिदायत रहे कि जिस कमरे में बैठें, वहां सिर्फ प्रखंड के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और डेलीगेट आएंगे तथा अपने विचार रखेंगे। वहां प्रदेश के कोई नेता नहीं रहेंगे क्योंकि किसी नेता के सामने रहने के बाद कार्यकर्ता बोलने में संकोच करते हैं और जो बहुमत हो उसे पर निर्णय लिया जाए। इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी। अगर सहमति गठबंधन के पक्ष में हो तो गठबंधन करें। अध्यक्ष जिसको भी बनाने के पक्ष में हों, होशियार अध्यक्ष बनाएं जो पार्टी को मजबूत कर सके और जब पार्टी मजबूत होगी तो हम सभी भी मजबूत होंगे।

उन्होंने कहा कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह का सच यही है कि कांग्रेस ही हमें फायदा पहुंचाएगी। अगर पार्टी के 35 विधायक होते तो राज्यसभा का सदस्य चुनने की शक्ति उनमें होती तो उनको टिकट नहीं मिलता। लेकिन राजद का समर्थन पाने के लिए उनको टिकट दिया गया। उन्होंने खुद को राज्यसभा सदस्य बनाने के लिए पार्टी के नेताओं और एमएलसी की सीट को बलि दे दी। कोई भी बनता पार्टी का एक व्यक्ति एक चेहरा तो एमएलसी होता। लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया।

‘अखिलेश सिंह को चाहिए सिर्फ अपना’
उन्होंने कहा कि अखिलेश प्रसाद सिंह को सिर्फ अपना चाहिए। 2019 के चुनाव में भी डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने पार्टी को इसी तरह का नुकसान पहुंचाया था। उस वक्त सिंह चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष थे और अपने बेटे को मोतिहारी से उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा से टिकट दिलवाया था और उनका बेटा चुनाव भी नहीं जीत पाया। इसके बाद उनके बेटे ने कभी भी कांग्रेस ज्वाइन नहीं की।

लेकिन उसे कांग्रेस का डेलीगेट भी बना दिया। खुद अपने अध्यक्ष होने के बाद और इस बार के चुनाव में भी महाराजगंज से पार्टी का टिकट दिया। उनका बेटा फिर चुनाव हार गया, जबकि पूरे बिहार के नेताओं ने वहां जाकर कैंप किया। अगर ये नेता और क्षेत्र में भी जाते तो और क्षेत्र में हम चुनाव जीत सकते थे। लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को खुश रखने के लिए नेताओं ने सिर्फ महाराजगंज में हाजिरी दी। परिणाम हम सब जगह और महाराजगंज भी हारे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को इस हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। इसके बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर मेरे आरोप गलत हैं तो मुझ पर मानहानि का मुकदमा चलाया जाए या केंद्रीय नेतृत्व के सामने बैठकर बहस हो जाए। मैं अपनी बातों को प्रमाण के साथ साबित कर दूंगा।

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