ईडी ने धनशोधन मामले में माकपा की भूमि बैंक में पड़े ₹73 लाख जब्त किए

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक ‘घोटाले’ से जुड़ी धन शोधन की जांच के तहत केरल में एक भूखंड और माकपा के 73 लाख रुपये के बैंक जमा को कुर्क किया है। हालांकि, सीपीआई (एम) ने गलत काम और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से इनकार किया है।

सूत्रों ने बताया कि इन संपत्तियों को कुर्क करने के लिए धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी आदेश जारी किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों में केरल के त्रिशूर जिले में 10 लाख रुपये मूल्य का एक भूखंड और राजनीतिक दल के पांच ‘अघोषित’ बैंक खातों में जमा 63 लाख रुपये शामिल हैं। माकपा ने ईडी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एजेंसी द्वारा करोड़ों रुपये के कथित करुवन्नूर बैंक घोटाले से जुड़े मामले में एजेंसी को आरोपी बनाए जाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ वह कानूनी एवं राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी।

पार्टी के प्रदेश सचिव एमवी गोविंदन ने आरोप लगाया कि ईडी राजनीतिक कारणों से विभिन्न मामलों में विपक्षी दलों और उनके नेताओं को आरोपी बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने केंद्रीय एजेंसी पर झूठे आरोप लगाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया क्योंकि वह पार्टी के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करने में विफल रही है।

ईडी का मानना है कि उसके द्वारा कुर्क की गई भूमि माकपा पार्टी कार्यालय के लिए थी और इसे करुवन्नूर सेवा सहकारी बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण के लाभार्थियों या कर्जदारों से कथित रिश्वत का उपयोग करके खरीदा गया था। एजेंसी ने इस मामले में कम से कम दो आरोपियों के इकबालिया बयानों पर भरोसा किया है, जिन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज अपने बयानों में दावा किया है कि बैंक में कथित अनियमितताएं माकपा (माकपा) त्रिशूर जिला समिति के नेताओं के इशारे पर रची गई थीं।

गोविंदन ने कहा कि पार्टी इकाइयों के कार्यालय और अन्य संपत्तियों का पंजीकरण संबंधित जिला समितियों के नाम पर करने की दशकों पुरानी परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी की स्थानीय समितियों में से एक की ओर से बनाए गए कार्यालय में आखिर पार्टी की क्या भूमिका हो सकती है। उन्होंने दावा किया कि लेकिन ईडी अब पार्टी की एक इकाई की संपत्ति के नाम पर माकपा की छवि ”धूमिल” करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। हमें इस संबंध में अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है।”

ईडी ने इस मामले में 55 आरोपियों के खिलाफ पिछले साल नवंबर में आरोपपत्र दायर किया था। एजेंसी ने अपनी अभियोजन शिकायत (ईडी के आरोपपत्र के बराबर) में अदालत को यह भी बताया था कि उसने इस मामले में करीब 100 करोड़ रुपये की 120 से अधिक संपत्तियां कुर्क की हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला केरल पुलिस (क्राइम ब्रांच) द्वारा त्रिशूर में दर्ज 16 एफआईआर से उपजा है। त्रिशूर स्थित माकपा नियंत्रित बैंक में 2010 में शुरू हुए इस कथित धोखाधड़ी के मामले ने राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था और पार्टी ने कहा था कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है।

ईडी ने कहा है कि मामले में उसकी जांच में पाया गया कि बैंक प्रबंधक द्वारा बैंक को संचालित करने वाले कुछ व्यक्तियों, जो एक निश्चित राजनीतिक दल के जिला स्तर के नेता और समिति के सदस्य थे, के निर्देश पर बैंक प्रबंधक द्वारा गैर-सदस्य बेनामी लोगों को नकद में ऋण वितरित किए गए और गरीब सदस्यों की संपत्तियों को उनकी जानकारी के बिना गिरवी रख दिया गया और आरोपियों के लाभ के लिए इसे वैध बनाया गया।

एजेंसी के अनुसार, बैंक की ओर से सोसायटी के सदस्यों की जानकारी के बिना एक ही संपत्ति के खिलाफ कई बार फर्जी ऋण मंजूर किए गए थे। एजेंसी ने पहले एक बयान में कहा था कि जांच से यह भी पता चला है कि अन्य सदस्यों के नाम पर संपत्ति के मूल्यांकन के बदले गैर-सदस्यों को बेनामी ऋण मंजूर किए गए थे और इस तरह के ऋण कोष को आरोपी लाभार्थियों द्वारा गबन और धनशोधन किया गया। ईडी इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

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