प. बंगाल: SSC भर्ती घोटाला मामले में कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी के आवास पर ईडी की रेड

पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी एसएससी भर्ती घोटाले की जांच में घिरते जा रहे हैं। उनके ठिकानों पर शुक्रवार सुबह ईडी ने छापेमारी की। उद्योग मंत्री चटर्जी पर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से की गई नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं का आरोप लगा है। इससे पहले उनसे सीबीआई भी इसी मामले में पूछताछ कर चुकी है। जब कथित अवैध भर्तियां की गईं तब चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। पार्थ चटर्जी के अलावा बंगाल के एक और मंत्री परेश अधिकारी के ठिकानों पर भी छापेमारी चल रही है। बताया जा रहा है कि ईडी ने कोलकाता में एक साथ 13 ठिकानों पर यह रेड की है।

इससे पहले पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी पर CBI ने केस दर्ज किया था। दरअसल कोलकाता हाईकोर्ट ने उनके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की जगह मंत्री को गुरुवार को अपराह्न तीन बजे तक पेश होने का मौका दिया था। लेकिन फिर भी अदालत के सामने पेश न होने के चलते मंत्री पर बेटी समेत केस दर्ज किया गया। वहीं मंत्री पार्थ चटर्जी से भी सीबीआई ने 8 घंटे पूछताछ की थी।

हाई कोर्ट ने पूरा वेतन वापस करने का दिया आदेश
कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चन्द्र अधिकारी की बेटी की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति को रद्द कर दिया था और उनसे 41 महीने की नौकरी के दौरान प्राप्त सारा वेतन लौटाने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने अंकिता अधिकारी को निर्देश दिया कि वह नवंबर 2018 से अभी तक प्राप्त वेतन की पूरी राशि दो किस्तों में रजिस्ट्रार के पास जमा कराएं।

2016 में हुई थीं भर्तियां
स्कूल शिक्षा विभाग की पूरी भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। ग्रुप सी में सभी लिपिक पद शामिल हैं, जिसमें प्रति माह 22,700 रुपये के शुरुआती वेतन है। परिचारकों को 17,000 रुपये के मासिक वेतन के लिए ग्रुप डी स्टाफ के रूप में काम पर रखा जाता है। इसके लिए पद निकाले गए और परीक्षा हुई।

ऐसे हुआ SSC स्कैम
जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने को कहा। उन्होंने ऐसा ही किया। अधिकारियों ने तब कथित तौर पर कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें उच्च रैंक देने के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए। अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया। समिति के सदस्य और एचसी के वकील अरुणव बनर्जी ने कहा, ‘मूल रूप से, कुछ उम्मीदवारों के स्कोर को बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया।’

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