भारत की अध्यक्षता में हुए भव्य और एतिहासिक जी 20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर आखिरकार चीन ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है। चीन ने कहा है कि नई दिल्ली घोषणा ने एक सकारात्मक संकेत दिया है। चीन ने कहा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन की सफलता इसका संकेत है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने और आर्थिक सुधार के संदर्भ में समूह के सभी सदस्य एक साथ काम कर रहा है।
नई दिल्ली घोषणा पत्र पर यह बोला चीन
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि नई दिल्ली घोषणा पत्र को सभी नेताओं ने अपनाया, यह चीन के प्रस्ताव को उल्लिखित करता है। जी20 साझेदारी के माध्यम से ठोस तरीकों से कार्य करेगा। यह घोषणा पत्र वैश्विक चुनौतियों से निपटने और विश्व आर्थिक सुधार और वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए जी20 के साथ मिलकर काम करने का सकारात्मक संकेत भेजेगा।
माओ ने यह भी कहा कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन की तैयारी की प्रक्रिया में चीन ने रचनात्मक भूमिका निभाई है। चीन ने हमेशा जी20 के काम को महत्व दिया है और सक्रिय रूप से उसका समर्थन किया है। हमारा मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास में विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समूह के लिए एकजुटता से खड़ा होना और सहयोग करना महत्वपूर्ण है। बता दें कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सम्मेलन से दूरी बनाई थी। उनकी जगह प्रधानमंत्री ली कियांग जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे।
यूक्रेन को लेकर भी दिया बयान
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन जी 20 शिखर घोषणा पत्र में रूस का खुलकर विरोध न करने का समर्थन करता है, इस पर उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर चीन का रुख सुसंगत और स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि जी20 नेताओं की घोषणा आपसी परामर्श से बनी आम सहमति का परिणाम है। यह सभी सदस्यों की आम समझ को दर्शाती है। नई दिल्ली शिखर सम्मेलन इस बात की पुष्टि करता है कि जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच है, न कि भू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच है।
ऐसे हो सकता है यूक्रेन संकट का हल
उन्होंने आगे कहा कि हम हमेशा मानते हैं कि यूक्रेन संकट का हल आपसी बातचीत, शीत युद्ध की मानसिकता को त्यागने, सभी पक्षों की वैध सुरक्षा चिंताओं को महत्व देने और उनका सम्मान करने से ही हो सकता है। चीन शांति वार्ता को बढ़ावा देने और यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे का स्वागत, बशर्ते यह ‘हथियार’ न बने
चीन ने कहा है कि वह भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे का तब तक स्वागत करता है जब तक कि वह एक भूराजनीतिक हथियार नहीं बनता। जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की गई थी। चीन ने उसके बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से बाहर निकलने की इटली की योजना को भी ज्यादा महत्व नहीं दिया है।