ब्रिटेन ने रविवार को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए फलस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य फलस्तीनी और इस्राइली समुदायों के बीच शांति की उम्मीद को बनाए रखना है। यह निर्णय अमेरिका और इस्राइल के विरोध के बावजूद लिया गया। इससे पहले कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भी फलस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।
स्टार्मर ने बताया कि यह फैसला प्रतीकात्मक है, लेकिन ऐतिहासिक महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि यह मान्यता केवल हमास के लिए नहीं, बल्कि फलस्तीनी जनता के लिए है। उन्होंने साफ किया कि हमास का भविष्य में शासन में कोई स्थान नहीं होगा और उन्हें अक्टूबर 2023 के हमलों में बंद किए गए इस्राइली बंधकों को तुरंत रिहा करना होगा।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी दी मान्यता
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि उनकी सरकार ने फलस्तीन को मान्यता दे दी है। उन्होंने इसे दो-राज्य समाधान की दिशा में शांति बहाल करने का एक कदम बताया। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया ने भी आधिकारिक रूप से फलस्तीन को मान्यता दी, जो गाजा संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पश्चिम एशिया की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
अमेरिका और इस्राइल की नाराजगी
इस घोषणा के बाद अमेरिका और इस्राइल ने कड़ा विरोध जताया। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह कदम आतंकवाद को बढ़ावा देगा और गलत संदेश देगा। इस्राइल का कहना है कि तब तक यह मान्यता बेकार है जब तक फलस्तीन अपने आंतरिक विभाजन से बाहर नहीं आता। आलोचकों का यह भी कहना है कि वेस्ट बैंक और गाजा में फलस्तीन का विभाजन और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजधानी न होना इस फैसले की सीमा दर्शाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्रथम विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फलस्तीन पर नियंत्रण किया। 1917 की बैलफोर घोषणा में यहूदियों के लिए राष्ट्रीय घर स्थापित करने की बात की गई थी, साथ ही फलस्तीनी नागरिक और धार्मिक अधिकारों की रक्षा की शर्त रखी गई थी। डिप्टी प्रधानमंत्री डेविड लैमी ने कहा कि यह अधिकार अब तक पूरे नहीं हुए हैं और यह ऐतिहासिक अन्याय आज भी जारी है।
फलस्तीनी प्रतिक्रिया
ब्रिटेन में फलस्तीन मिशन के प्रमुख हुसाम जोमलोत ने कहा कि यह मान्यता औपनिवेशिक दौर की गलतियों को सुधारने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह केवल कूटनीतिक कदम नहीं बल्कि राजनीतिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है।
आगे का रास्ता
ब्रिटेन दशकों से दो-राज्य समाधान का समर्थन करता रहा है, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। गाजा में चल रहे संघर्ष, लाखों लोगों का विस्थापन और वेस्ट बैंक में इस्राइल की बस्तियों का लगातार विस्तार ब्रिटेन को यह मान्यता देने के लिए मजबूर कर रहा है। लैमी ने कहा कि दो-राज्य समाधान को जीवित रखना आवश्यक है, क्योंकि इसके भविष्य पर गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम के बच्चों का भविष्य निर्भर है।