कनाडा ने बंद किया फास्ट ट्रैक वीजा प्रोग्राम, भारतीय छात्रों पर होगा असर

कनाडा ने शुक्रवार को अपने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (एसडीएस) कार्यक्रम को बंद करने का एलान दिया है। यह एक फास्ट-ट्रैक स्टडी परमिट प्रक्रिया थी, जिसके तहत हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कनाडा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जल्दी से वीजा पाने की अनुमति दी जाती थी।इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) द्वारा 2018 में लॉन्च किए गए स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) का उद्देश्य भारत, चीन और फिलीपींस सहित 14 देशों के छात्रों के लिए वीजा आवेदनों को सुव्यवस्थित करना था। पात्र छात्रों के लिए 20,635 कैनेडियन डॉलर (लगभग 1,258,735 INR) का कनाडाई गारंटीकृत निवेश प्रमाणपत्र (GIC) और अंग्रेजी या फ्रेंच भाषा में कुशलता जैसे मापदंड निर्धारित थे।

कुछ हफ्तों में मिल जाती थी परमिट

इससे आवेदकों को सामान्य आठ सप्ताह के बजाय कुछ हफ्तों में पढ़ने के लिए परमिट मिल जाती थी। आईआरसीसी की आधिकारिक वेबसाइट में बताया गया है कि कनाडा सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अध्ययन परमिट के लिए आवेदन प्रक्रिया तक समान और निष्पक्ष पहुंच देने के लिए प्रतिबद्ध है। 8 नवंबर को दोपहर 2:00 बजे ET (सुबह 12:30 बजे IST) तक जमा किए गए आवेदनों को SDS कार्यक्रम के तहत संसाधित किया जाएगा, जबकि इस समय के बाद भेजे गए आवेदनों पर मानक अध्ययन परमिट प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि नीति परिवर्तन उन देशों के छात्रों की पात्रता को प्रभावित नहीं करेगा, जो पहले SDS द्वारा कवर किए गए थे। सभी आवेदकों को अभी भी देश में अध्ययन करने के लिए कनाडा की अध्ययन परमिट आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

भारतीयों को कैसे करेगा प्रभावित

SDS कार्यक्रम को भारत, चीन और फिलीपींस समेत 14 देशों के छात्रों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। SDS कार्यक्रम, कनाडाई अध्ययन परमिट के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों के लिए शीर्ष विकल्प बन गया है। 2022 में 80 फीसदी छात्रों ने इसका उपयोग किया था। 2023 की शुरुआत में, लगभग 80 प्रतिशत भारतीय आवेदकों ने SDS को चुना, जिसकी 76 प्रतिशत अप्रूवल रेट रही, जो नियमित आवेदनों के लिए 8 फीसदी अप्रूवल से कहीं अधिक है।

हालांकि, SDS कार्यक्रम की समाप्ति के साथ, कनाडा में पढ़ने की योजना बना रहे लाखों भारतीय छात्रों को देरी का सामना करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अब उन्हें मानक अध्ययन परमिट प्रक्रिया के माध्यम से आवेदन करना होगा, जिसमें आमतौर पर अधिक समय लगता है और स्वीकृति दर भी कम होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here