कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से पूरी दुनिया त्रस्त है। इस वायरस के ओरिजिन को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि चीन के वुहान (Wuhan) के एक लैब में इस वायरस को चीनी वैज्ञानिकों ने बनाया, जहां से यह वायरस लीक हो गया और लैब से निकलकर यह पूरा दुनिया में फैल गया और तबाही मचा रहा है।
साइंस रिसर्च मैग्जीन बुलेटिन ऑफ एटोमिक साइंटिस्ट (Bulletin of the Atomic Scientists) में छपी एक आर्टिकल में प्रसिद्ध साइंस राइटर, एडिटर ऑर लेखक निकोलस वेड (Nicholas Wade) ने दावा किया कि कोरोना वायरस को चीन के वुहान स्थित BSL2 lab में बनाया गया, जहां से यह लीक हो गया।
निकोलस वेड ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को फंड मुहैया कराने वाली अमेरिका संस्था इकोहेल्थ एलायंस ऑफ न्यूयॉर्क के अध्यक्ष डॉ. पीटर डास्जैक (Peter Daszak) के इंटरव्यू को अपनी लेख का आधार बनाया है। अपने इंटरव्यू में सबसे पहले Peter Daszak ने ही पहली बार वुहान लैब में स्पाइक प्रोटीन की रिप्रोग्रामिंग और ह्यूमनाइज्ड चूहों को संक्रमित करने वाले काइमेरिक कोरोनावायरस तैयार किए जाने का खुलासा किया था।
डॉ. डास्जैक ने कहा था, करीब 6-7 वर्षों की शोध के बाद वुहान लैब में सार्स से संबंधित करीब 100 से ज्यादा नए कोरोना वायरस ढूंढे गए। इनमें से कुछ को मानव कोशिकाओं पर आजमाया गया है, कुछ ह्यूमनाइज्ड चूहों में सार्स वायरस संक्रमण करने में कामयाब रहे।
निकोलस वेड ने लिका कि डॉ. डास्जैक जानते थे कि वुहान इंस्टीट्यूट में कोरोना वायरस की संक्रमण क्षमता बढ़ाने पर लगातार रिसर्च जारी है। उन्हें यह भी मालूम था कि वहां वैज्ञानिकों को संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित रखने की तैयारियों में खामियां थी। लेकिन महामारी की बात सामने आने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों को हर जानकारी मुहैया कराने के बजाए उन्होंने वायरस के लीक होने की सभी आशंकाओं को खारिज करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी।
निकेलस वेड ने लिखा, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व डॉ. शी झेंगली कर रही थीं। जिन्हें बैट-लेडी (Bat lady) भी कहा जाता है। उन्होंने दक्षिणी चीन में युन्नान की गुफाओं की यात्रा कर चमगादड़ों में पाए जाने वाले करीब 100 किस्म के कोरोना वायरस जुटा लिए थे। इस रिसर्च में उन्हें अमेरिका के रॉल्फ एस. बेरिक का भी साथ मिला।
निकोलस वेड के मुताबिक, 2018 और 2019 में डॉ. शी को इन प्रयोगों के लिए फंड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज से मिल रहा था जो कि अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का हिस्सा है। फंड पहले प्राइम कॉन्ट्रैक्टर इकोहेल्थ एलायंस के डॉ. डास्जैक को हासिल हुए, जिसे उन्होंने डॉ. शी झेंगली को मुहैया कराया।