बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको, जिन्हें यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है, एक बार फिर सत्ता में लौट आए हैं. मंगलवार (25 मार्च) को उन्होंने सातवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी माने जाने वाले लुकाशेंको ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पश्चिमी देशों पर तंज कसते हुए कहा कि बेलारूस में उन देशों से अधिक लोकतंत्र है, जो खुद को इसका आदर्श मानते हैं. लुकाशेंको ने हालिया चुनाव में 87% वोटों के साथ जीत दर्ज की, हालांकि उनकी जीत को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब आलोचना हो रही है.
1994 से बेलारूस की सत्ता पर काबिज लुकाशेंको अब तीन दशक पूरे कर चुके हैं. 26 जनवरी को हुए राष्ट्रपति चुनाव को उन्होंने अपने विरोधियों के लिए कड़वा सच बताया. हालांकि, यह चुनाव विवादों में रहा क्योंकि लुकाशेंको के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले चारों उम्मीदवारों को उनके समर्थक ही माना जाता था. विपक्ष ने इन चुनावों को दिखावा करार दिया है और इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है.
बेरहमी से कुचला गया विरोध प्रदर्शन
2020 के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको की विवादित जीत के बाद देशभर में भारी विरोध-प्रदर्शन हुए थे, जिसमें करीब 9 लाख लोग सड़कों पर उतरे थे. लेकिन सरकार ने इन प्रदर्शनों को बेरहमी से कुचल दिया. हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, कई विपक्षी नेता या तो जेल में हैं या देश छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं. स्वतंत्र मीडिया और एनजीओ पर भी सख्त प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
लुकाशेंको ने किया आलोचकों पर वार
लुकाशेंको के शपथ ग्रहण समारोह में हजारों समर्थक मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने अपने आलोचकों को विदेशी ताकतों के गुलाम बताते हुए कहा, “आपको जनता का समर्थन नहीं मिला है और आगे भी नहीं मिलेगा. हमारा लोकतंत्र उन देशों से बेहतर है, जो खुद को इसका आदर्श बताते हैं.” इस बीच, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बेलारूस में 1,200 से अधिक राजनीतिक कैदी जेल में हैं, जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता और वियासना ह्यूमन राइट्स सेंटर के संस्थापक एलेस बियालियात्स्की भी शामिल हैं.
बेलारूस में पुतिन की पकड़ मजबूत
विश्लेषकों का मानना है कि लुकाशेंको की सत्ता रूस के समर्थन पर टिकी हुई है. 2020 में हुए विरोध प्रदर्शनों को दबाने में रूस ने उनकी मदद की थी. इसके अलावा, 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब लुकाशेंको ने बेलारूस की जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी. हाल ही में, रूस ने अपने कुछ परमाणु हथियार भी बेलारूस में तैनात किए हैं, जिससे दोनों देशों का सैन्य गठबंधन और मजबूत हुआ है.