दुनिया में 60 करोड़ लोगों की ओर से बोली जाने वाली हिंदी भाषा संयुक्त राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने गुरुवार को यहां अपने परिसर में ‘बहुभाषिकता और विदेशों में हिंदी का प्रचार’ विषय पर विश्व हिंदी दिवस मनाया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, महिला व बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का सामाजिक ताना-बाना बहुभाषीय और बहुसांस्कृतिक है।
मिशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कहा कि हिंदी को और अधिक लोकप्रिय भाषा बनाने के लिए कई पहल की जा रही हैं और संयुक्त राष्ट्र की ओर से मान्यता मिलने से यह वैश्विक भाषा बन जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक संचार उप महासचिव मेलिसा फ्लेमिंग ने कहा कि 60 करोड़ लोगों की ओर से बोली जाने वाली हिंदी भाषा संयुक्त राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि ‘हिंदी@यूएन’ परियोजना और विभिन्न सोशल मीडिया अपडेट संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों को हिंदी भाषियों के करीब ला रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में गैर-आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल कर लिया गया है।
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने हिंदी में संयुक्त राष्ट्र समाचार को बढ़ावा देने के लिए लगभग 70 लाख डॉलर का योगदान दिया। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में प्रमुख शिक्षाविद शामिल थे, जिन्होंने अमेरिका में हिंदी को बढ़ावा देने के अपने अनुभव साझा किए।
भारत सरकार ने वैश्विक स्तर पर हिंदी को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के प्रयासों को मजबूत करने के लिए 10 जनवरी, 2006 को विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत की। तब से, विश्व हिन्दी दिवस हर वर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है।
पिछले वर्ष नवंबर माह में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में भारत के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया जो उस समय संयुक्त राष्ट्र की यात्रा पर था।
प्रतिनिधिमंडल के नेता सांसद बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान विभिन्न देशों में हिंदी की लोकप्रिय लोकप्रियता पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में कई संयुक्त राष्ट्र राजदूतों और अधिकारियों ने भाग लिया।