नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भारत की ओर से भाषण दिया और पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करते हुए उसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ‘भारत की जनता की ओर से नमस्कार’ से की और कहा कि स्वतंत्रता के बाद से भारत आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है, जबकि उसका पड़ोसी देश दशकों से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है।
जयशंकर ने हालिया उदाहरण के तौर पर इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या का जिक्र किया और बताया कि पाकिस्तान में औद्योगिक स्तर पर आतंकवादी ठिकाने संचालित होते हैं और आतंकियों को सार्वजनिक रूप से महिमामंडित किया जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों और संस्थाओं को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसके अलावा, आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह बंद करने और प्रमुख आतंकियों पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार और विस्तार पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिषद में अधिक प्रतिनिधित्व और स्थायी-अस्थायी सदस्यता के विस्तार की जरूरत है, ताकि संकट के समय शांति बनाए रखने और मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि बहुपक्षवाद में विश्वास घट रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र आम सहमति बनाने में कमजोर पड़ रहा है।
अपने भाषण में जयशंकर ने वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और टैरिफ के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि टैरिफ अस्थिरता और बाजार तक असुरक्षित पहुंच के कारण कई देशों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया और बताया कि संघर्ष और व्यवधान गरीब और कमजोर समाज को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
अंत में, उन्होंने वैश्विक शांति और संघर्ष समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए यूक्रेन और गाजा में शत्रुता समाप्त करने का आह्वान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत शांति स्थापित करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा और सभी पक्षों को बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की प्रेरणा देगा।