नई दिल्ली/इस्लामाबाद। जैश-ए-मोहम्मद के बाद अब लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर कासिम ने पाकिस्तान के मुरिदके स्थित मरकज तैयबा शिविर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। कासिम ने स्वीकार किया कि सात मई की भारतीय सैन्य कार्रवाई में यह शिविर नष्ट हो गया था और इसका पुनर्निर्माण चल रहा है। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने पहले दावा किया था कि यह इमारत आतंकियों के इस्तेमाल में नहीं थी।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कासिम निर्माणाधीन स्थल के सामने खड़ा दिखाई दे रहा है और कह रहा है कि “मैं मुरिदके में मरकज तैयबा के खंडहरों पर खड़ा हूं, जिसे भारतीय हमले में नष्ट किया गया था। अब इसका पुनर्निर्माण हो रहा है और यह मस्जिद पहले से भी बड़ी बनेगी।” उसने यह भी स्वीकार किया कि इस शिविर में कई आतंकियों और छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया, जिन्होंने बाहर निकलकर ‘फतह’ के लिए गतिविधियां कीं।
कासिम ने पाकिस्तान की युवाओं से अपील की कि वे मरकज तैयबा में आयोजित ‘दौरा-ए-सुफ्फा’ नामक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हों। यह कार्यक्रम जिहादी प्रशिक्षण और धार्मिक शिक्षा का संयोजन है, जिसमें बुनियादी आतंकवादी तैयारियां कराई जाती हैं।
मुरिदके का यह शिविर उन नौ आतंकवादी ठिकानों में शामिल था, जिन्हें भारतीय सेना ने सात मई की रात पाकिस्तान और पीओके में लक्षित किया था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर के विभिन्न शिविरों को निशाना बनाया गया, जिनमें बहावलपुर, सियालकोट, बारनाला और मुजफ्फराबाद शामिल थे।
एक अन्य वायरल वीडियो में लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी ने यह दावा किया कि पाकिस्तान की सरकार और सेना ने मुरिदके शिविर के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय मदद भी उपलब्ध कराई है। इस खुलासे के बाद पाकिस्तान सरकार की छवि पर सवाल उठे हैं, जो पहले इस स्थल को आतंकियों से अलग बताते रही।