सीरिया के हालात पर नेतन्याहू ने जताई खुशी, बशर असद के पतन को बताया ऐतिहासिक

सीरिया की राजधानी दमिश्क में विद्रोही गुटों ने कब्जा कर लिया है. 27 नवंबर के बाद से शुरू हुई जंग ने राष्ट्रपति बशर अल असद को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. सीरिया के मौजूदा हालात पर पश्चिम एशियाई देशों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं. इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बयान सामने आया है. उन्होंने बशर अल असद की सरकार के पतन को ऐतिहासिक दिन करार दिया है. उन्होंने कहा यह मध्य पूर्व के लिए एक ऐतिहासिक दिन है.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए इजराइली राष्ट्रपति ने कहा कि असद शासन का पतन इजराइल द्वारा हिजबुल्लाह और ईरान पर किए गए हमलों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि इजराइल की रणनीतियों ने सीरिया में ईरान और उसके समर्थित संगठनों की ताकत को कमजोर किया है, जिसकी वजह से असद सरकार गिरने पर मजबूर हो गई. नेतन्याहू ने कहा कि यह सिर्फ एक सरकार का अंत नहीं बल्कि यह ईरानी विस्तारवादी एजेंडे पर एक प्रहार है.

नेतन्याहू ने सेना और खुफिया एजेंसियों की तारीफ की

नेतन्याहू ने इजराइली सेना और खुफिया एजेंसियों की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि उनकी कोशिशों ने इस क्षेत्र में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाई. नेतन्याहू ने यह भी कहा कि इजराइल आने वाले वक्त में अपनी सुरक्षा रणनीतियों को और मजबूत करेगा ताकि क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटा जा सके. उन्होंने कहा कि असद शासन का पतन महान अवसर प्रदान करता है लेकिन महत्वपूर्ण खतरों से भी भरा हुआ है. नेतन्याहू ने कहा कि हम सीरिया में हमारी सीमा से परे कुर्द, ईसाइयों और मुसलमानों के साथ उन सभी लोगों के लिए शांति का हाथ बढ़ाते हैं जो इजराइल के साथ शांति से रहना चाहते हैं.

‘शत्रुतापूर्ण ताकत को अपनी सीमा पर स्थापित नहीं होने देंगे’

नेतन्याहू ने आगे कहा कि उन्होंने इजराइली सेना को इजराइली और सीरियाई-नियंत्रित गोलान हाइट्स के बीच संयुक्त राष्ट्र-गश्त वाले बफर जोन को जब्त करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा कि सीरिया के साथ 1974 का सैनिकों की वापसी का समझौता ढह गया है, इसलिए उन्होंने सेना को बफर जोन और पास के कमांडिंग पदों को जब्त करने का निर्देश दिया. नेतन्याहू ने कहा कि हम किसी भी शत्रुतापूर्ण ताकत को अपनी सीमा पर स्थापित नहीं होने देंगे.

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