पाकिस्तान के सीमावर्ती राज्यों में बढ़ते आतंकी हमलों को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है। हम किसी भी हाल में आतंकियों को नहीं बख्शेंगे। देश की शांति और प्रगति के लिए आतंकियों का सफाया जरूरी है।
अपने आवास पर राष्ट्रीय कार्य योजना की शीर्ष समिति की बैठक में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि आतंकवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती है। देश की शांति और प्रगति के लिए आतंकी तत्वों का सफाया करने के अलावा हमारे कोई और विकल्प नहीं है। इस बुराई को कुचले बिना राष्ट्रीय सुलह, प्रगति और आर्थिक विकास संभव नहीं है।
सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कहा कि जो कोई भी पाकिस्तान की सुरक्षा में बाधा उत्पन्न करने और सेना को रोकने की कोशिश करेगा, उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि आतंक के खिलाफ युद्ध में हर पाकिस्तानी एक सैनिक है। कुछ वर्दी में हैं और दूसरे बिना वर्दी के। राष्ट्र को आतंकवाद के संकट से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।
बैठक में पीएम ने सवाल किया कि 2018 के बाद आतंकवाद क्यों सिर उठा रहा है, जब इसे लगभग खत्म कर दिया गया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ द्वारा 24 नवंबर को इस्लामाबाद में विरोध मार्च की योजना के तहत विरोध और धरने की जगह देश की शांति और प्रगति को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। पीएम ने कहा कि हमें यह तय करना होगा कि धरना देना चाहिए या लंबे मार्च निकालने चाहिए या देश की प्रगति के लिए काम करना चाहिए।
कर बढ़ाने के लिए भी कहा
बैठक में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि शेयर बाजार 95,000 से अधिक अंकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। जबकि मुद्रास्फीति नीचे आई है। ब्याज दर 22 से 15 प्रतिशत तक कम हो गई है। देश का अभिजात वर्ग से अपनी संपत्ति के अनुसार करों का भुगतान कर अर्थव्यवस्था में योगदान दे। उन्होंने कहा कि चीन, सऊदी अरब और यूएई ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सात बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिलाने में मदद की।
समन्वय समितियों का किया गया गठन
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि बैठक का मुख्य फोकस बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के साथ-साथ कराची में आतंकवाद में वृद्धि पर चर्चा करना था। आतंकवाद से निपटने और सहयोग बढ़ाने के लिए समन्वय समितियों का गठन किया गया है। हालांकि बैठक में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने पूर्व पीएम इमरान खान को बिना किसी अपराध के एक साल से अधिक समय तक जेल में रखने और पीटीआई को विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का मुद्दा उठाया। आसिफ ने कहा कि उनकी 99 प्रतिशत बातचीत आतंकवाद के मुद्दे पर थी।