अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की ओर से भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को खारिज करने की मांग की है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा ने निचली अदालतों में कानूनी लड़ाई हारने के बाद शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
भारत ने 2008 के मुंबई हमले में तहव्वुर राणा की भूमिका को लेकर उसका प्रत्यर्पण मांगा है। राणा ने इससे पहले अमेरिका की सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां भी उसे सफलता नहीं मिली थी।
सर्किट कोर्ट ने 23 सितंबर को राणा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अन्य अदालतों के फैसलों पर रोक लगाने की मांग की थी। इन अदालतों के फैसले राणा का भारत प्रत्यर्पण करने के पक्ष में थे। इसके बाद 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उसने वही दलील दी, जो उसने पहले निचली अदालतों में दी थी कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपों में उसे शिकागो की एक संघीय अदालत ने मुकदमे से बरी किया है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने कहा कि राणा की याचिका को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने 20 पेज की दलील में कहा कि राणा भारत प्रत्यर्पण से राहत पाने का हकदार नहीं है।
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल प्रीलोगर आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की याचिका से असहमत दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं मानती कि जिस आचरण पर भारत प्रत्यर्पण चाहता है वह अमेरिकी सरकार के अभियोजन के दायरे में था। भारत का जालसाजी के आरोप संयुक्त राज्य अमेरिका से अलग है। आरोपी ने इमिग्रेशन लॉ सेंटर का शाखा कार्यालय खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपे गए आवेदन में गलत जानकारी दी है। क्योंकि संघीय अदालत की जूरी के फैसले में यह स्पष्ट नहीं है कि भारत ने जो आरोप राणा पर लगाए हैं, उसमें उसे बरी किया गया या दोषी ठहराया गया है।
यह है पूरा मामला
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में राणा की भूमिका की जांच कर रही है। एनआईए ने कि वह राणा को भारत लाने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिये कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार है। भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था।