हाथरस हादसा: किसी की हड्डी टूटी, किसी की लिवर, फेफड़ा फटने से गई जान; पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा

सिकंदराराऊ हादसे में किसी की हड्डी टूटने से तो किसी की लिवर-फेफड़ा फटने से जान गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, चिकित्सकों का कहना है कि अलीगढ़ में जिन 37 लोगों का पोस्टमार्टम हुआ उनमें 10 लोगों की मौत दम घुटने से हुई है।

सिकंदराराऊ हादसे के 38 मृतकों के शव अलीगढ़ पहुंचे। इनमें 37 लोगों का पोस्टमार्टम हुआ। एक महिला की अभी भी शिनाख्त नहीं हो सकी है। सीएमओ के नेतृत्व में छह सदस्यीय चिकित्सकों की टीम ने हादसे में 10 महिलाओं की मौत भगदड़ में गिर जाने और दम घुटने (एस्फिक्सिया) से होना माना है। अधिकतर लोगों की मौत का कारण शरीर में गंभीर चोट लगना है। कुछ की मौत सिर में गंभीर चोट आने और हड्डी टूट जाने से ब्रेन हेमरेज के चलते हुई है। करीब 12-15 लोगों की मौत लिवर, फेफड़े के फट जाने और बाकी लोगों की मौत सिर, कंधे, गर्दन, रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आने से हुई है।

दर्द से छलक उठी आंखें
जिला अस्पताल व जेएन मेडिकल कॉलेज से मंगलवार देर रात जैसे ही शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे हर किसी की आंखें छलक उठी। पत्नी, मां, भाई, बहन के शव से लिपटक कर लोग दहाड़ मारकर रो रहे थे। यह मंजर देखकर जिला अस्पताल में अन्य मरीजों के साथ आए तमाम तीमारदार भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहे थे।

मोर्चरी में कम पड़ी जगह तो परिसर में ही रखवा दिए शव
हाथरस हादसे में मरे लोगों के शवों को रखने के लिए जिला अस्पताल व पोस्टमार्टम हाउस की मोर्चरी में जगह कम पड़ गई। यहां सफेद रंग के कपड़े में लिपटे शव परिसर में ही रखवा दिए गए। बाहर मृतकों के परिजनों की चीख-पुकार ने सबको झकझोर कर रख दिया। पोस्टमार्टम हाउस पर एंबुलेंस व पुलिस के वाहनों से एक के बाद एक आते शवों देखकर लोग सहम जा रहे थे।

सुबह से लेकर देर रात तक पोस्टमार्टम हाउस पर चीख पुकार होती रही। इस दौरान लोगों के चेहरों पर साफ तौर पर मातम जरूर दिख रहा था, लेकिन इस घटना में भोले बाबा को लेकर उनके मन में कोई विरोध नहीं था। न ही वे भोले बाबा के बारे में किसी प्रकार की कोई टिप्पणी तक करने को तैयार थे।

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