ममता बनर्जी के खिलाफ राज्यपाल के मानहानि मुकदमे की सुनवाई टली

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। बोस ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।  देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब किसी  राज्यपाल ने अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है।

राज्यपाल के वकील, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल धीरज त्रिवेदी ने कई अखबारों की रिपोर्ट और सोशल मीडिया पर छपी खबरों के क्लिप का हवाला देते हुए दलीलें दीं। इस पर जस्टिस कृष्ण राव ने कहा कि आप प्रकाशकों को शिकायत में पक्षकार बनाने में क्यों हिचकिचा रहे हैं? वादी ने प्रकाशित आरोपों के आधार पर हर्जाने के लिए मानहानि का मुकदमा दायर किया, लेकिन मीडिया और प्रकाशकों को पक्षकार नहीं बनाया गया? याचिका में संशोधन करने के लिए मामले की सुनवाई फिलहाल गुरुवार तक के लिए टाल दी गई।

इससे पहले राजभवन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि राज्यपाल बोस ने दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ केस करने का फैसला लिया। राज्यपाल की याचिका में तृणमूल कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के भी नाम बताए जा रहे हैं। हालांकि इन नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की है कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के चलते वे वहां जाने से डरती हैं। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, बनर्जी के खिलाफ बोस की ओर से दायर मानहानि का मुकदमा जस्टिस कृष्ण राव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। बनर्जी की टिप्पणी पर राज्यपाल ने कहा था कि जन प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनाम करने वाली धारणा न बनाएं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारी हदें पार कर दी हैं। उन्हें सभ्य आचरण के भीतर कार्य करना होगा। बोस ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना सम्मानित सहयोगी मानते हुए उन्हें पूरा आदर और सम्मान दिया। लेकिन उन्हें लगता है कि वह किसी भी को भी धमका सकती हैं और चरित्र लांछन लगा सकती हैं। 

बोस ने आगे कहा था कि मेरा किरदार ममता बनर्जी जैसे लोगों के इशारे पर नहीं चलना है। मेरे स्वाभिमान की हत्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वह मुझे धमका या डरा नहीं सकतीं। वह उस सीमा तक नहीं बढ़ सकतीं। एक मुख्यमंत्री के रूप में अगर वह मुझसे अलग हैं, तो निश्चित रूप से इसका ध्यान रखने के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं। उन्हें झूठ के जरिए चरित्र हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। 

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