बलूच नेता ने की पाक से आजादी की घोषणा, दूसरे देशों से समर्थन की अपील

बलूचिस्तान के प्रमुख नेता मीर यार बलूच ने पाकिस्तान से अलग होने की घोषणा करते हुए बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का ऐलान किया है। उन्होंने दशकों से जारी हिंसा, जबरन गायब किए जाने की घटनाओं और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ यह कदम उठाया है। उनका कहना है कि बलूचिस्तान कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा और अब समय आ गया है कि भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष में बलूचों का समर्थन करें।

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर मीर यार बलूच ने लिखा कि बलूच जनता ने अपना निर्णय सुना दिया है और अब वैश्विक समुदाय की चुप्पी अस्वीकार्य है। उन्होंने बलूचों की आवाज़ को साझा करते हुए कहा, “अगर तुम हमें मारोगे, हम झुकेंगे नहीं। हम अपने आत्मसम्मान की रक्षा करेंगे, आओ और हमारा साथ दो।” उनका कहना है कि यह बलूचिस्तान का सामूहिक निर्णय है कि वे पाकिस्तानी नहीं, बल्कि बलूच हैं, और दुनिया को इसे मान्यता देनी चाहिए।

उन्होंने भारतीय नागरिकों से अपील की कि वे बलूचों को पाकिस्तान का हिस्सा मानने की भूल न करें, क्योंकि वे स्वयं को पाकिस्तान के पंजाबी नेतृत्व से अलग मानते हैं। बलूच नेताओं ने आरोप लगाया कि पंजाबी शासकों ने कभी भी उन अत्याचारों का सामना नहीं किया जो बलूचों को झेलने पड़े हैं — जैसे हवाई हमले, सामूहिक हत्याएं और जबरन लापता किया जाना।

मीर यार बलूच ने भारत द्वारा 14 मई 2025 को पाकिस्तान से पीओके खाली करने की मांग का समर्थन भी किया। उन्होंने लिखा कि बलूचिस्तान इस फैसले के साथ खड़ा है और वैश्विक संस्थाओं से अपील करता है कि वे पाकिस्तान पर पीओके छोड़ने का दबाव बनाएं, ताकि 1971 की तरह फिर से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमान का सामना न करना पड़े। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इसके लिए केवल उसकी सेना के लालची जनरल ही जिम्मेदार होंगे, जो पीओके के लोगों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के पाकिस्तान में विलय के किसी कानूनी दस्तावेज या अंतरराष्ट्रीय सहमति का प्रमाण तक नहीं दिखा पाया है। 1948 में हुए कथित विलय समारोह में किसी तटस्थ देश की भागीदारी नहीं थी और न ही बलूच नेताओं की स्वीकृति का कोई आधिकारिक दस्तावेज मौजूद है।

अंत में मीर यार बलूच ने कहा कि बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिलने के बाद, उनका देश वैश्विक शांति, आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और गरीबी मिटाने जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता देगा।

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