रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच ने एक बार फिर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। एंटी करप्शन ब्यूरो और इकोनॉमिक ऑफेन्स विंग (एसीबी/ईओडब्ल्यू) ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल और आरोपी दीपेन चावड़ा को हिरासत में लिया। चैतन्य इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 18 जुलाई को गिरफ्तार किए जाने के बाद न्यायिक हिरासत में थे।
सूत्रों के अनुसार, एसीबी/ईओडब्ल्यू ने दोनों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट के जरिए अदालत में पेश किया। इस मामले की जांच जनवरी 2024 में शुरू हुई थी और अब तक सामने आए तथ्यों के मुताबिक घोटाले की रकम 2,500 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। बताया जाता है कि यह गड़बड़ी 2019 से 2022 के बीच हुई, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी।
चैतन्य बघेल के वकील फैसल रिजवी ने गिरफ्तारी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं हैं और यह कार्रवाई केवल दबाव बनाने के उद्देश्य से की गई है। उनका दावा है कि मुख्य और सहायक चार्जशीट में चैतन्य का नाम दर्ज नहीं है, जबकि अब तक 45 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है, जिनमें से 29 को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।
वहीं, ईडी की ओर से दाखिल चौथी पूरक चार्जशीट में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एजेंसी का कहना है कि चैतन्य बघेल कथित तौर पर शराब घोटाले के सिंडिकेट में अहम भूमिका निभा रहे थे और करीब 1,000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई सीधे उन्हीं के नियंत्रण में थी। आरोप है कि इस घोटाले में सरकारी और अवैध शराब बिक्री से कमीशन वसूला गया और बड़े डिस्टिलरों से रिश्वत लेकर एक ऐसा कार्टेल बनाया गया, जिसने बाजार को आपस में बांट लिया।