लद्दाख। लेह में बुधवार को हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। शहर में हर कोने पर सुरक्षा बल तैनात हैं, सड़कों पर सन्नाटा पसरा है और जगह-जगह कंटीले तार बिछाए गए हैं। बीच-बीच में एंबुलेंस की आवाज सुनाई दे रही है।
इंटरनेट सेवा बहाल होने से युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और वहां भी प्रदर्शन और उसकी वजहों को लेकर चर्चा हो रही है। कर्फ्यू के कारण लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है, और पुलिस और सीआरपीएफ हर निकास पर सख्ती से पूछताछ कर रही है। केवल आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है।
ऑल इंडिया लद्दाख स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने कहा कि बेरोज़गारी इस प्रदर्शन की जड़ है। युवा वर्तमान स्थिति से निराश हैं और उन्हें भविष्य के लिए कोई ठोस राह नहीं दिख रही। सोशल मीडिया पर भी युवा प्रशासन और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद पर सवाल उठा रहे हैं।
मीरवाइज उमर फारूक ने लेह में हुई हिंसा और जान-माल की हानि पर चिंता जताई और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम जम्मू-कश्मीर में किए गए अधूरे वादों और प्रशासनिक निर्णयों के कारण सामने आए हैं। उन्होंने घर पर नजरबंदी और सुरक्षा उपायों पर भी अफसोस जताया।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण भड़के हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग अपनी पहचान, संस्कृति, जमीन और रोजगार की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनकी सहनशीलता की दीवार टूट गई है। मुफ्ती ने विपक्षी दलों द्वारा हिंसा भड़काने के आरोप को खारिज करते हुए इसे जनता के आक्रोश का स्वरूप बताया।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और पूरे केंद्र शासित प्रदेश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्कता बढ़ाने का आह्वान किया। पुलिस, सीआरपीएफ और प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।
कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (CDA) ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की निंदा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की। CDA नेताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह जनता की चिंताओं को समझने के बजाय दमनकारी उपायों का सहारा ले रहा है। उन्होंने सरकार से पारदर्शी जांच और प्रदर्शनकारियों व उनके परिवारों के उत्पीड़न को रोकने का आग्रह किया।
CDA के वरिष्ठ नेता असगर अली करबलाई ने कहा कि चार निर्दोष नागरिकों की मौत और कई गंभीर रूप से घायल हुए। उन्होंने कहा कि सरकार को संवाद के रास्ते को अपनाना चाहिए और बल प्रयोग से स्थिति को नहीं बिगाड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि लद्दाखियों के बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा और न्याय उनकी राजनीतिक लड़ाई का केंद्रबिंदु बना रहेगा।
कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच लेह और लद्दाख के लोग अनिश्चितता और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जबकि क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे अभी भी ज्वलंत बने हुए हैं।