राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। हवा में मौजूद सूक्ष्म प्लास्टिक कण और भारी धातुएं धीरे-धीरे फेफड़ों को प्रभावित कर लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की स्वच्छ हवा सर्वेक्षण 2025 रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्ष सातवें स्थान पर रही दिल्ली इस बार 32वें स्थान पर खिसक गई है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों में दिल्ली की रैंकिंग में 24 पायदान की गिरावट आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से कहीं ज्यादा है। पीएम 2.5 कणों का उच्च स्तर सांस संबंधी बीमारियों और जीवन प्रत्याशा पर सीधा असर डाल रहा है। राजधानी को राज्य स्तर पर 172.3 और अंतिम स्कोर 157.3 अंक मिले हैं। शिकागो यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों की औसत उम्र करीब आठ साल कम हो रही है।
सर्वेक्षण में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत उठाए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2019 से चिन्हित शहरों में प्रदूषण को घटाना है, जिसमें वायु गुणवत्ता निगरानी, उत्सर्जन मानक लागू करना और लोगों में जागरूकता फैलाना शामिल है।
गाजियाबाद का बेहतर प्रदर्शन
दिल्ली-एनसीआर में गाजियाबाद ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हुए 12वां स्थान हासिल किया है। नगर निगम ने सड़कों की नियमित सफाई, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और हरित क्षेत्र बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक योजनाओं के बिना वायु गुणवत्ता में स्थायी सुधार संभव नहीं है।
वाहनों से सर्वाधिक प्रदूषण
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और अन्य संस्थानों के अध्ययनों के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत वाहन हैं। विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि पीएम 2.5 में परिवहन क्षेत्र का योगदान 20% से 41% तक है। सर्दियों में धूल का प्रभाव घटने से वाहनों से होने वाला प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है। स्थानीय स्तर पर पीएम 2.5 का 51% हिस्सा प्रदूषण का स्रोत वाहनों से आता है।
विशेषज्ञों की राय
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि सभी प्रमुख प्रदूषण स्रोतों से उत्सर्जन घटाना जरूरी है, लेकिन परिवहन संकट पर तुरंत ठोस रणनीति बनानी होगी। बसों व मेट्रो सेवाओं को मजबूत करना, उनके बीच बेहतर समन्वय और निजी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए नीतिगत बदलाव जरूरी हैं।
दिल्ली सरकार की तैयारी
राजधानी की हवा इस समय “मध्यम” श्रेणी में है। मंगलवार को एक्यूआई 105 दर्ज किया गया, जो सोमवार से 23 अंक अधिक है। अनुमान है कि आने वाले दिनों में भी यह स्थिति बनी रह सकती है।
इस बीच, दिल्ली सरकार ने शीतकालीन एक्शन प्लान की तैयारियां तेज कर दी हैं। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 30 से अधिक एजेंसियों के साथ बैठक कर 17 प्रमुख कदमों पर चर्चा की। इनमें धूल नियंत्रण, पराली जलाने पर रोक, औद्योगिक उत्सर्जन में कमी और क्लाउड सीडिंग जैसे उपाय शामिल हैं।
आगे की दिशा
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली को अपनी साख वापस पाने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कदम दोनों उठाने होंगे। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी निगरानी, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और जनजागरूकता अभियान अनिवार्य हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) भी प्रदूषण के कारणों की सही पहचान के लिए नए सिरे से सोर्स अपॉर्शनमेंट स्टडी कराएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ आंकड़ों का नहीं बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी का सवाल है।