नागपुर की 19 वर्षीय इंटरनेशनल मास्टर दिव्या देशमुख ने इतिहास रचते हुए फिडे महिला शतरंज विश्व कप का खिताब जीत लिया। उन्होंने फाइनल में देश की ही अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को हराकर यह मुकाम हासिल किया। इस खिताबी जीत के साथ दिव्या ग्रैंडमास्टर का तमगा भी हासिल करने में सफल रहीं।
फाइनल मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद विजेता का फैसला टाईब्रेकर में हुआ, जहां दिव्या ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बाजी अपने नाम की। टाईब्रेकर के पहले दौर में दोनों मुकाबले ड्रॉ रहे, लेकिन दूसरे दौर में उन्होंने निर्णायक जीत दर्ज की।
फिडे नियमों के अनुसार, टाईब्रेकर में प्रत्येक खिलाड़ी को 15-15 मिनट का समय दिया जाता है, जिसमें हर चाल के बाद 10 सेकंड का अतिरिक्त समय जोड़ा जाता है। स्कोर बराबर रहने पर यह सिलसिला छोटे टाइम कंट्रोल वाले गेम तक जारी रहता है, जब तक कोई विजेता घोषित न हो जाए। हालांकि, इस बार दूसरे रैपिड टाईब्रेकर में ही परिणाम सामने आ गया।
दिव्या की यह ऐतिहासिक जीत केवल खिताब तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने इस प्रदर्शन से पहले ही महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी अपनी जगह पक्की कर ली थी। जीत के बाद भावुक हुईं दिव्या ने इसे अपने करियर का सबसे यादगार पल बताया।