प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स से संबंधित धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के मामले में तकनीकी दिग्गज गूगल और मेटा के वरिष्ठ अधिकारियों को दिल्ली मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया है। जांच एजेंसी इस बात की पड़ताल कर रही है कि क्या इन कंपनियों ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंधित सट्टा ऐप्स के विज्ञापनों को बढ़ावा देकर उनकी अप्रत्यक्ष रूप से मदद की।
जांच के दायरे में प्रचार और कमाई
सूत्रों के मुताबिक, ईडी यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि इन कंपनियों ने ऐसे प्लेटफॉर्म्स से कितना राजस्व अर्जित किया और क्या इनके ज़रिए अन्य समान ऐप्स का भी प्रमोशन किया गया। जांच ऐसे समय में हो रही है जब केंद्र सरकार पहले ही ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए से जुड़े प्रचार को लेकर सख्त रुख अपना चुकी है।
सरकारी दिशा-निर्देश की अनदेखी?
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि गूगल और मेटा ने 2022 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का उल्लंघन किया। उस एडवाइजरी में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि टीवी और डिजिटल मीडिया को सट्टा एवं जुए संबंधी विज्ञापनों से बचना चाहिए, क्योंकि ये युवाओं और नाबालिगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और आर्थिक नुकसान की आशंका बढ़ा सकते हैं।
कंपनियों की ओर से अब तक चुप्पी
मामले में अभी तक गूगल और मेटा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, संभावना है कि पूछताछ के दौरान दोनों कंपनियां अपना पक्ष रखेंगी।
अगर ईडी की जांच में आरोपों की पुष्टि होती है, तो इन वैश्विक तकनीकी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार फिलहाल ऑनलाइन सट्टेबाजी गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए है।