जम्मू। केंद्र सरकार ने लेह में हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों की जिम्मेदारी जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर डाली है। गृह मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने अपने भाषणों और अपीलों से लोगों को भड़काया, जिसके बाद स्थिति बिगड़ी। मंत्रालय के मुताबिक, हालात मंगलवार शाम करीब 4 बजे तक काबू में आ गए थे।
सरकारी बयान में कहा गया, “स्पष्ट है कि सोनम वांगचुक ने अपने उत्तेजक बयानों से भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया। उसी दौरान उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया और बिना किसी ठोस पहल के, एम्बुलेंस से अपने गांव रवाना हो गए।”
6 अक्टूबर को होनी है बैठक
केंद्र ने पहले ही घोषणा की थी कि 6 अक्टूबर को उच्चस्तरीय समिति की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें लद्दाख से जुड़ी संवैधानिक और प्रशासनिक मांगों पर चर्चा होगी। लेह एपेक्स बॉडी (ABL) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने भी समिति के नए सदस्यों पर सहमति जताई थी।
विरोध क्यों हुआ?
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर सोनम वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे। लेकिन प्रदर्शन के दौरान हालात अचानक बिगड़ गए और हिंसा भड़क उठी। इसी के बाद वांगचुक ने अपना अनशन खत्म करने की घोषणा कर दी।
हिंसा में मौतें और घायल
इस झड़प में चार लोगों की जान चली गई, जबकि करीब 70 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इनमें दो की हालत नाजुक है। वहीं, एक सीआरपीएफ जवान भी गंभीर रूप से घायल हुआ है।