यूएनएससी में भारत की मांग: गाजा में युद्धविराम हो, सभी बंधकों को रिहा किया जाए

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की त्रैमासिक खुली बहस के दौरान भारत ने पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति और फलस्तीनी मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि मानवीय संकट को और अधिक नहीं बढ़ने देना चाहिए और संघर्षग्रस्त क्षेत्रों तक त्वरित और सुरक्षित राहत पहुंचना अनिवार्य है।

उन्होंने ज़ोर दिया कि गाजा पट्टी में हालात बेहद गंभीर हैं, जहां भोजन, ईंधन, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की भारी कमी है। पी. हरीश ने कहा कि मानवीय संकट से निपटने के लिए केवल अस्थायी युद्धविराम पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि लोगों तक निरंतर मदद पहुंचाना ज़रूरी है।

गंभीर मानवीय स्थिति पर चिंता

भारतीय प्रतिनिधि ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गाजा के लगभग 95% अस्पताल या तो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं या पूरी तरह नष्ट। वहीं, मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 6.5 लाख से अधिक बच्चे बीते 20 महीनों से शिक्षा से वंचित हैं।

पी. हरीश ने स्पष्ट किया कि संघर्ष के समाधान के लिए राजनीतिक संवाद और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता हैं। उन्होंने कहा कि सभी बंधकों की रिहाई और पूर्ण युद्धविराम अनिवार्य है।

भारत की फलस्तीन नीति और सहायता

हरीश ने भारत की फलस्तीन के प्रति पारंपरिक प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि भारत उन पहले गैर-अरब देशों में शामिल रहा है जिसने फलस्तीनी राज्य को मान्यता दी थी। भारत ने अब तक सीधे सहायता और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के ज़रिए फलस्तीनी जनता की मदद के लिए 4 करोड़ डॉलर से अधिक की सहायता दी है।

इस्राइल ने जताई आपत्ति

इस बीच, इस्राइल ने गाजा में मानवीय सहायता को लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की आलोचनाओं को खारिज किया है। इस्राइली विदेश मंत्रालय ने इन संगठनों पर हमास के प्रचार का समर्थन करने का आरोप लगाया और कहा कि इस तरह की टिप्पणियां युद्धविराम की कोशिशों को प्रभावित कर सकती हैं।

इस्राइल के प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि अब तक 4,500 से अधिक राहत ट्रक गाजा भेजे जा चुके हैं, जिनमें खाद्यान्न और बच्चों के लिए पोषण सामग्री शामिल है। साथ ही 700 से अधिक ट्रक गाजा के भीतर हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा वितरण का इंतज़ार कर रहे हैं।

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