सिंगापुर: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर रविवार को अपने तीन दिवसीय सिंगापुर-चीन दौरे की शुरुआत करते हुए पहले चरण में सिंगापुर पहुंचे। वहां उन्होंने सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन से मुलाकात की। इस बैठक को भारत और सिंगापुर के बीच गहराते राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
मुलाकात के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि सिंगापुर, भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का महत्वपूर्ण स्तंभ है और विचारों का आदान-प्रदान हमेशा उपयोगी रहता है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर के विदेश मंत्री से मिलकर उन्हें प्रसन्नता हुई।
टेमासेक होल्डिंग्स के चेयरमैन-डिजिग्नेट से की मुलाकात
जयशंकर ने अपनी सिंगापुर यात्रा के दौरान टेमासेक होल्डिंग्स के अध्यक्ष पद के लिए नामित टीओ ची हीन से भी भेंट की। उन्होंने इस बातचीत को लेकर जानकारी दी कि इसमें भारत में आर्थिक सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास और संभावित निवेश अवसरों पर चर्चा हुई। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग और निवेश साझेदारी को गति देने का संकेत मानी जा रही है।
एससीओ बैठक में लेंगे भाग
विदेश मंत्री जयशंकर 15 जुलाई को चीन के तियानजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में सदस्य देशों के विदेश मंत्री और संगठन के प्रमुख अधिकारी भाग लेंगे। बैठक का आयोजन चीनी विदेश मंत्री वांग यी के आमंत्रण पर किया जा रहा है।
बैठक में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ सदस्य देशों के आपसी सहयोग पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। यह दौरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की हालिया चीन यात्राओं के बाद हो रहा है, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि भारत और चीन के बीच संवाद को आगे बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं।
दुर्लभ खनिजों पर बातचीत की संभावना
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, जयशंकर और उनके समकक्ष वांग यी के बीच द्विपक्षीय संबंधों की बहाली को लेकर बातचीत हो सकती है। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और अन्य क्षेत्रों में उत्पादन के लिए आवश्यक दुर्लभ खनिजों पर भी चर्चा की संभावना जताई गई है।