उत्तराखंड में देर रात की आपदाओं ने बढ़ाया संकट, अबतक सौ से अधिक लोगों की मौत

देहरादून। उत्तराखंड में देर रात और तड़के हो रही अतिवृष्टि लगातार कहर बरपा रही है। रात के अंधेरे में अचानक आपदा आने से लोगों को संभलने तक का समय नहीं मिल पा रहा है। अब तक प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आकर सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

पिछले दिनों आपदाओं की श्रृंखला लगातार जारी रही। 6 अगस्त की सुबह पौड़ी जिले में आए आपदा ने जन-धन की बड़ी क्षति पहुंचाई। इसके बाद 24 अगस्त को थराली में आधी रात बाद बादल फटने से भारी तबाही हुई। 15 सितंबर को देहरादून में देर रात ढाई बजे से शुरू हुई तेज बारिश सुबह तक जारी रही, इस आपदा में 26 लोगों की जान चली गई और 13 लोग अब भी लापता हैं। तीन दिन बाद, 18 सितंबर को चमोली जिले की नंदानगर तहसील में रात करीब दो बजे बादल फटने की नई घटना सामने आई।

मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि देर रात और भोर का समय अत्यधिक वर्षा के लिए सबसे अनुकूल होता है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह बताते हैं कि रात में तापमान गिरने से वायुमंडलीय स्थितियां ऐसी बनती हैं जिससे वर्षा तीव्र हो सकती है। वहीं, वैज्ञानिक सीएस तोमर के अनुसार रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक का समय ऐसे घटनाक्रमों के लिए सबसे संवेदनशील रहता है।

लगातार हो रही इन आपदाओं ने न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि प्रदेश की आपदा प्रबंधन व्यवस्था को भी बड़ी चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है।

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