नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाने और कड़े नियम लागू करने की घोषणा पर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कदम दोनों देशों के आर्थिक हितों को प्रभावित कर सकता है और उम्मीद जताई कि उद्योग जगत व नीति निर्माता मिलकर समाधान निकालेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार को एच-1बी वीजा कार्यक्रम से जुड़ी रिपोर्ट्स की जानकारी है। उन्होंने बताया कि भारतीय उद्योग जगत पहले ही एक प्रारंभिक विश्लेषण जारी कर चुका है, जिसमें वीजा से जुड़ी कुछ गलतफहमियों को दूर किया गया है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यह फैसला सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि प्रभावित पेशेवरों और उनके परिवारों पर मानवीय असर भी डाल सकता है।
जायसवाल ने जोर देकर कहा कि भारत और अमेरिका तकनीक, नवाचार और रचनात्मकता में साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच कुशल प्रतिभाओं का आदान-प्रदान अब तक आर्थिक वृद्धि, प्रतिस्पर्धात्मकता और तकनीकी विकास को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नीति निर्माता इन पहलुओं को ध्यान में रखकर आगे का रास्ता तय करेंगे।
विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में अमेरिका की ओर से भारत से जुड़े कई फैसले लिए गए हैं, जिन्हें प्रतिकूल माना जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, भारतीय आयात पर दुनिया का सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है और चाबहार पोर्ट को अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छूट भी समाप्त कर दी गई है।
हालांकि, इन फैसलों पर भारत ने अब तक संयमित प्रतिक्रिया ही दी है। मंत्रालय ने संकेत दिया है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अगले सप्ताह इस मुद्दे पर चर्चा करने अमेरिका जा सकते हैं। एच-1बी वीजा के मामले में भी भारत ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका प्रभावित परिवारों और पेशेवरों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए व्यावहारिक समाधान खोजेगा।