पीएम मोदी जापान दौरे पर, चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन में नेताओं से करेंगे मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जापान और चीन के पांच दिवसीय दौरे पर रवाना हो गए। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है। अमेरिकी टैरिफ विवाद और वैश्विक आर्थिक तनावों के बीच यह दौरा विशेष महत्व रखता है। जापान से मोदी 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जबकि इसके बाद वह चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इस दौरान मोदी कई देशों के नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे।

जापान यात्रा का उद्देश्य:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जापान यात्रा के दौरान भारत और जापान की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के अगले चरण को आकार देने पर ध्यान दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक, निवेश, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया जाएगा। विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सेमीकंडक्टर जैसी नई तकनीकों में सहयोग बढ़ाने पर जोर होगा। मोदी के अनुसार यह दौरा सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती देने का अवसर है।

चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन:
जापान से लौटने के बाद मोदी चीन पहुंचेंगे और तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेंगे। मोदी शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे। भारत एससीओ का सक्रिय सदस्य है और सम्मेलन में नवाचार, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

राजनयिक और आर्थिक महत्व:
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, जापान दौरा नई पहल शुरू करने और दोनों देशों के संबंधों में लचीलापन लाने का अवसर है। मोदी जापान में व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान, तकनीक और संस्कृति पर भी चर्चा करेंगे। चीन में मोदी की यह सात साल बाद की पहली यात्रा है, जिसमें वे वर्ल्ड इकोनॉमी और मेक इन इंडिया पहल के लिए समर्थन जुटाएंगे। जापान, चीन और रूस के समर्थन से भारत को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

सीधे और प्रभावी द्विपक्षीय वार्ता:
चीन यात्रा के दौरान भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार, तीन हिमालयी क्रॉसिंग पर व्यापार पुनः खोलने और निवेश नियमों में सुधार पर चर्चा होगी। मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता में इन विषयों पर भी बातचीत होगी। बीजिंग ने हाल ही में भारत को उर्वरक, दुर्लभ खनिज और सुरंग खोदने वाली मशीनों के निर्यात पर लगी प्रतिबंधों को हटाने पर सहमति दी है।

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