आतंकवाद पर किसी तरह की मध्यस्थता का सवाल ही नहीं उठता: अमेरिका में बोले थरूर

अमेरिका के दौरे पर पहुंचे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर किसी भी प्रकार की मध्यस्थता की संभावना को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने दो टूक कहा कि आतंक फैलाने वाले देशों और आतंकवाद का शिकार बनने वाले लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच कोई भी नैतिक या तर्कसंगत समानता नहीं हो सकती। थरूर इन दिनों एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी वैश्विक मंचों को दे रहे हैं।

भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर अमेरिका की भूमिका पर प्रतिक्रिया

जब थरूर से पूछा गया कि क्या अमेरिका भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है, तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ‘मध्यस्थता’ ऐसा शब्द है जिसे भारत स्वीकार नहीं करता। उनका कहना था, “ये ऐसा तर्क होगा मानो दोनों पक्ष बराबर हों, जबकि एक ओर आतंक को समर्थन देने वाला देश है और दूसरी ओर एक लोकतांत्रिक देश जो अपने नागरिकों की सुरक्षा कर रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका की रुचि और चिंता को सराहा है, लेकिन असल दबाव पाकिस्तान पर डालना ज़रूरी है। थरूर ने यह भी जोड़ा कि उन्हें लगता है अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की होगी, हालांकि यह सिर्फ उनकी धारणा है।

भारत ने चीन की तकनीक को दी चुनौती

थरूर ने जानकारी दी कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में चीन की आधुनिक सैन्य तकनीक को परास्त किया है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने चीन की ‘किल चेन’ प्रणाली का इस्तेमाल किया, जिसमें रडार, जीपीएस, मिसाइल और विमानों का समन्वय होता है, लेकिन भारत ने समय पर रणनीति में बदलाव कर 11 पाकिस्तानी वायुसेना ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। थरूर ने कहा कि यदि भारत ने रणनीति नहीं बदली होती, तो इतनी प्रभावशाली प्रतिक्रिया संभव नहीं होती। उन्होंने यह भी बताया कि चीन की पाकिस्तान में रणनीतिक दिलचस्पी है, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो बेल्ट एंड रोड परियोजना का अहम हिस्सा है – ऐसे में भारत को चीन की भूमिका को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

हमारा निशाना केवल आतंकी ठिकाने रहे – थरूर

थरूर ने यह स्पष्ट किया कि भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जबकि पाकिस्तान के पास भारत में ऐसा कोई लक्ष्य नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी ऐसा आतंकी संगठन नहीं है जिसे संयुक्त राष्ट्र या अमेरिका ने सूचीबद्ध किया हो। ऐसे में पाकिस्तान किसे जवाबी निशाना बनाएगा? निर्दोष नागरिकों को? यही इस पूरे संघर्ष की असमानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य आतंकियों को जवाब देना था, आम नागरिकों को नहीं।

पाकिस्तान का इनकार नया नहीं – थरूर

थरूर ने बताया कि जब उनके बेटे ने पूछा कि क्या किसी देश ने भारत से पाकिस्तान के खिलाफ सबूत मांगे, तो उन्होंने कहा कि किसी ने भारत की बात पर शक नहीं जताया। “सिर्फ मीडिया में कुछ सवाल उठे थे, लेकिन भारत ने कार्रवाई से पहले हर स्तर पर ठोस जानकारी जुटाई थी।” उन्होंने आगे कहा कि पिछले 37 वर्षों से पाकिस्तान आतंकवाद फैलाता रहा है और हर बार आरोपों से इनकार करता आया है। “मुंबई हमलों के समय भी पाकिस्तान ने यही रवैया अपनाया था, जबकि पूरी दुनिया जानती है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान की सैन्य छावनी के पास छिपा हुआ था,” थरूर ने कहा।

भारत ने साझा की विश्वसनीय जानकारी

थरूर ने बताया कि भारत ने वैश्विक समुदाय के साथ कूटनीतिक स्तर पर सूचनाएं साझा कीं। प्रतिनिधिमंडल में शामिल सिविल और सैन्य अधिकारियों ने अमेरिका में नियमित जानकारी दी। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इन ब्रीफिंग्स में महिला सैन्य अधिकारी, जिनमें एक मुस्लिम अधिकारी भी थीं, ने भी भाग लिया। थरूर ने कहा कि भारत ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि यह संघर्ष धर्म के आधार पर नहीं है, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ने का संकल्प है – और यह बात अमेरिकी अधिकारियों तक प्रभावी रूप से पहुंचाई गई है।

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