बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान की रफ्तार तेज हो गई है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, अब तक कुल मतदाताओं में से करीब 74.39% ने अपने गणना प्रपत्र (फॉर्म) जमा कर दिए हैं, जबकि अंतिम तिथि को अभी 14 दिन शेष हैं। प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7.90 करोड़ है।
घर-घर जाकर जुटाए जा रहे फॉर्म
एसआईआर के दूसरे चरण में बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं और प्रपत्र एकत्र कर रहे हैं। राज्य के सभी 38 जिलों में 243 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 963 सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ), निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और अन्य फील्ड अधिकारी इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं।
अब तक 5.87 करोड़ से अधिक गणना फॉर्म एकत्र हो चुके हैं। यह आंकड़ा 24 जून 2025 को निर्देश जारी होने के 17 दिन के भीतर प्राप्त हुआ है। आयोग ने जानकारी दी कि इस कार्य में 77,895 बीएलओ के साथ 20,603 नए बीएलओ, अन्य चुनावकर्मी और 4 लाख से अधिक स्वयंसेवक शामिल हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और अन्य कमजोर वर्गों की सहायता कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों ने बीएलए की संख्या में की बढ़ोतरी
एसआईआर की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने 1.56 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए हैं। आयोग के मुताबिक, एसआईआर प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से बीएलए की कुल संख्या में करीब 13% की बढ़ोतरी हुई है। खासकर, इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे दलों ने अपने एजेंटों की संख्या में कई गुना इजाफा किया है।
उदाहरण के लिए, भाकपा (माले) लिबरेशन ने अपने एजेंटों की संख्या 233 से बढ़ाकर 1,227 कर दी है, जो 446% की वृद्धि दर्शाता है। माकपा ने 666% और कांग्रेस ने 92% की बढ़ोतरी की है। कांग्रेस ने अपने बीएलए की संख्या 8,586 से बढ़ाकर 16,500 कर दी है। जदयू ने सबसे अधिक 6,000 नए एजेंट नियुक्त किए हैं।
बीजेपी के पास सबसे अधिक बीएलए
अगर बीएलए की कुल संख्या की बात करें, तो भारतीय जनता पार्टी 52,689 एजेंटों के साथ सबसे आगे है। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास 47,504 बीएलए हैं। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास यह संख्या 1,153 है।