दिल्ली एयरपोर्ट को कैसे मिला था पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम

भारी बारिश के बीच शुक्रवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट पर हादसा हो गया. एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 की छत का एक हिस्सा गिर गया. कई वाहन दब गए. एक शख्स की मौत हो गई और कई घायल हुए. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापू ने मृतक के परिजन को 20 लाख और घायलों को 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है. भारी बारिश के कारण कई उड़ानें रद्द कर दी गई हैं और विमान कंपनियों ने यात्रियों को रिफंड देने की बात कही है.

IGI एयरपोर्ट का इतिहास करीब 35 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसकी शुरुआत दिल्ली के पालम हवाई अड्डे से हुई. वो पालम एयरपोर्ट जिसकी नींव द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल एयरफोर्स के बेस के तौर पर हुई थी. यह एयरपोर्ट एशियाई और दूसरे देशों को कई सेवाएं देता था.

पालम से कैसे बना IGI एयरपोर्ट?

आज़ादी के बाद, पालम भारतीय वायु सेना के बेस के रूप में तब तक काम करता रहा जब तक कि सरकार ने भारत में कॉमर्शियल एयरलाइंस पर फैसला नहीं कर लिया. 1962 में पालम हवाई अड्डा आधिकारिक तौर पर पैसेंजर एयरपोर्ट बन गया.

पहले, हवाई अड्डे पर एक घंटे में अधिकतम 1,300 यात्री ही आ-जा सकते थे, जो सीमित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की जरूरतों को पूरा करता था. धीरे-धीरे हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों का दबाव बढ़ा और इसका विस्तार किया गया. एक नया टर्मिनल बनाने के लिए काम शुरू किया गया और उस दौर में उस पर 900,000 रुपए की लागत आई थी.

1970 के दशक में लंबी दूरी की यात्रा और अंतरराष्ट्रीय यात्रा में बढ़ोतरी देखी गई. कई विदेशी एयरलाइंस ने भारत में अपनी सेवाएं शुरू कीं.मई 1986 में, एक नया टर्मिनल (टर्मिनल 2) बनाया गया और पालम हवाई अड्डे का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कर दिया गया.

हवाई अड्डे का नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया, जिनकी 1984 में मृत्यु हो गई थी. इसकी शुरुआत के 2 साल पहले ही उनका देहांत हुआ था, इसलिए एयरपोर्ट का नाम इनके नाम पर रखने का फैसला किया गया.

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए अलग हुए टर्मिनल

टर्मिनल 2 ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए नए केंद्र के रूप में काम किया, जबकि टर्मिनल 1 ने घरेलू हवाई अड्डे के रूप में अपनी भूमिका जारी रखी. दो दशकों से अधिक समय तक दोनों टर्मिनल में ऐसे ही काम किया. 2000 के दशक की शुरुआत में टर्मिनल 1 और 2 पर भीड़भाड़ बढ़ रही थी. टी1 पर इसकी क्षमता से 45% अधिक यात्री थे. भारत में सेवा देने वाली एयरलाइंस की संख्या बढ़ने के साथ, टी2 भी जल्दी ही भरने लगा.

इस तरह दिल्ली को एक बार फिर यात्रियों की बढ़ती संख्या के लिए एक बड़े और बेहतर हवाई अड्डे की जरूरत थी. इस बार, तत्कालीन सरकार ने हवाई अड्डे के मैनेजमेंट और निर्माण को एक निजी समूह को सौंपने का विकल्प चुना, जिसका ठेका 2006 में दिया गया. इस तरह टर्मिनल 3 की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे यह देश का सबसे व्यस्तम एयरपोर्ट बना और विमान संचालन के मामले दुनिया के टॉप 10 एयरपोर्ट की लिस्ट में भी शामिल हुआ.

4 स्टार रेटिंग और दुनिया का सबसे बिजी हवाई अड्डा बना था

दुनियाभर के एयरपोर्ट की रेटिंग करने वाली संस्था स्काईट्रैक्स IGI एयरपोर्ट को 4 स्टार रेटिंग दे चुकी है. यह रेटिंग यहां परसाफ-सफाई, आराम, भोजन और पेय पदार्थ, खरीदारी, स्टाफ सेवा और आव्रजन की बेहतरीन सुविधाओं के लिए दी गई थी.

साल 2023 इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट दुनिया के सबसे बिजी एयरपोर्ट की टॉप टेन सूची में 10वें पायदान पर रहा था. यह लिस्ट एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) ने जारी की थी.

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