‘मेरी भी राज्यसभा जाने की इच्छा थी’, छगन भुजबल का छलका दर्द

एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वह राज्यसभा जाने के इच्छुक थे. इसके लिए उन्होंने पार्टी के नेताओं से बात भी की थी लेकिन पार्टी ने उनकी जगह उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया. सुनेत्रा ने राज्यसभा के लिए नामांकन भी भर दिया है.

पार्टी के इस फैसले के बाद से छगन भुजबल नाराज चल रहे हैं. छगन भुजबल ने कहा कि उन्होंने न केवल अभी बल्कि छह साल पहले भी राज्यसभा की उम्मीदवारी मांगी थी. उन्होंने कहा कि मेरी दिलचस्पी तभी हो गई जब छह साल पहले प्रफुल्ल पटेल को राज्यसभा भेजा गया. मैंने सोचा कि समय आने पर हम बात करेंगे. मगर पार्टी ने किसी और को भेजने का फैसला किया है.

दरअसल, राज्यसभा के उम्मीदवारों की रेस में छगन भुजबल का भी नाम था लेकिन पार्टी ने उनकी जगह डिप्टी सीएम अजित पवार की पत्नी को उतारने का फैसला किया. भुजबल ने कहा कि उनकी भी राज्यसभा में जाने की इच्छा थी. विधानसभा में 40 साल हो गए. मंत्री पद मिला. उम्र बीत गई. कभी-कभी मैं संसद जाऊंगा. जिसे मैंने शाखा का प्रमुख बनाया. वह संसद के लिए चुने गए और मंत्री बने. मैं भी ऐसा सोचा.

मैं किसी ने नाराज नहीं…

उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ काम करने वाले मनोहर जोशी लोकसभा अध्यक्ष बने. मैंने सोचा कि हमें भी चलना चाहिए. कई मित्र कह रहे थे कि असेंबली में कितने दिन हैं. तो इच्छा व्यक्त की. दूसरे दिन बैठक हुई. फिर चर्चा हुई. अजीतदादा उस समय बाहर गए थे. चुनाव से एक दिन पहले इस पर चर्चा हुई थी. सभी ने सुनेत्रा ताई का नाम आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि किसी ने नाराज नहीं हूं.’

सुनेत्रा पवार को बारामती सीट से मिली हार

छगन भुजबल ने आगे कहा कि आपकी हर इच्छी पूरी हो ये जरूरी नहीं. हर किसी को पार्टी के फैसले को स्वीकार करना होता है. राजनीति में लोगों को लगता है कि ये मौका मिलेगा लेकिन मौका हाथ से निकल जाता है. योग्य होते हुए भी उस पद पर नहीं जा सकते. लोकसभा चुनाव में सुनेत्रा पवार को बारामती सीट से हार का सामना करना पड़ा था. सुप्रिया सुले ने यहां से लगातार चौथी जीत दर्ज की.

राज ने शिवसेना छोड़कर गलती की

टीवी9 मराठी को दिए खास इंटरव्यू में छगन भुजबल ने और कई मुद्दों पर बात की. भुजबल ने कहा कि राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर गलती की है. उन्होंने कहा कि आपके मतभेद क्या थे, आपकी मांगें क्या थीं, लोगों को बताएं, अगर मतभेद हैं भी तो क्या उनका ध्यान नहीं रखा जाना चाहिए? आपका आपस में खून का रिश्ता नहीं है, चाहे आपके मतभेद कितने भी रहे हों, फिर तो शिवसेना बाला साहेब ठाकरे की थी. जिसने बचपन से उनका ख्याल रखा, जिनके लिए मैं कभी-कभी खाना नहीं खाता था, उन्हें ये करना चाहिए?

छगन भुजबल ने कहा कि जब राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ी, तो मैंने उद्धव और राज दोनों को बुलाया और कहा कि वे पांच से छह दिनों तक एक-दूसरे से बात न करें. क्रोध उस क्षण के लिए है, जब क्रोध शांत हो जाता है तो मन बदल जाता है. भुजबल ने कहा कि कुछ दिनों तक दोनों ने एक-दूसरे से बात नहीं की लेकिन मतभेद हो गया और राज ठाकरे ने अपना फैसला ले लिया है.

मनुस्मृति को लेकर भुजबल ने क्या कहा?

छगन भुजबल ने कहा कि अगर मनुस्मृति जैसी कोई चीज है तो मैं उससे परे देख रहा हूं. नहीं मतलब नहीं. मेरे खिलाफ जो भी कार्रवाई की जाएगी, मुझे इसकी परवाह नहीं है.. जब मनुस्मृति की बात आएगी तो मैं किसी और चीज की परवाह नहीं करूंगा. मनुस्मृति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कोई भी कार्रवाई हो, मुझे इसकी परवाह नहीं है.

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