अमेरिका और इजराइल के साथ बड़े सैन्य अभ्यास में उतरा भारत

पूरी दुनिया पर जंग के बादल छाए हुए हैं. चीन और अमेरिका का तनाव भी अपने चरम पर है. दुनिया के बड़े देशों ने अब बड़ी जंग की तैयारी शुरू कर दी है. अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ प्रशांत महासागर में दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कर रहा है. इस अभ्यास का नाम ‘रिम ऑफ द पैसिफिक’ (RIMPAC) है, इसमें दुनिया भर से 29 देशों की सेनाएं हिस्सा ले रही हैं. इसका आयोजन चीन और रूस के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है, क्योंकि चीन के दुश्मन देश जापान, साउथ कोरिया इसमें शामिल हैं. भारत भी इस ड्रिल का हिस्सा है.

RIMPAC का आयोजन हर दूसरे साल होता है. इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका द्वारा 1971 में की गई थी. इस ड्रिल का मकसद बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देने है. 27 जून से शुरू हुए इस अभ्यास में दक्षिण कोरिया, जापान और भारत की सेनाओं के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और सात यूरोपीय देशों की सेनाएं भी हिस्सा ले रही हैं. इस अभ्यास में इजराइल की सेना भी शामिल है, जिसका प्रो फिलिस्तीनी संगठनों ने विरोध किया है.

25 हजार से ज्यादा सैनिक और 29 देश

इस अभ्यास में दुनिया भर के ताकतवर सेनाएं अपने जहाजों, हथियारों के साथ शामिल हो रही हैं. लगभग 29 राष्ट्र, 40 सरफेस जहाज, 3 पनडुब्बियां, 14 देशों की थल सेनाएं, 150 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और 25 हजार से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल हो रहे हैं. ये ड्रिल अमेरिका के हवाई द्वीप और उसके आसपास 26 जून से 2 अगस्त तक जारी रहेगा.

मानवीय रिलीफ भी शामिल

RIMPAC सिर्फ जंग के लिहाज से ही नहीं बल्कि मानवीय और रिलीफ ऑपरेशन के लिहाज से भी अहम है. इस ड्रिल में प्राकृतिक आपदा से निपटने का अभ्यास किया गया है. अमेरिका ने रीजन में अपने रिश्तों को मजबूत किया है, कई नए रक्षा समझौते किए हैं और एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाया है. इस साल RIMPAC बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के बीच हो रहा है, जिसकी वजह से इसे चीन जैसे देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

चीन ने भी बढ़ाए क्षेत्र में अभ्यास

हाल ही में चीन ने ताइवान के आसपास अपने सैन्य अभ्यास बढ़ाए हैं और दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों और तटों पर फिलीपींस के साथ बार-बार टकराव किया है. चीन के क्षेत्र में आक्रामक होना का अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश विरोध कर चुका हैं. विरोध के बावजूद चीन ने अपने अभ्यासों को जारी रखा है.

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