अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में 49 दोषी, 28 लोग हुए बरी

अहमदाबाद: 13 साल पहले 16 जुलाई, 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में यहां की विशेष अदालत ने मंगलवार को 49 लोगों को दोषी करार दिया. इन धमाकों में कुल 56 लोगों की मौत हुई थी और करीब 200 अन्य घायल हुए थे. न्यायाधीश एआर पटेल ने 28 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. अदालत ने पिछले साल सितंबर में इस मामले के कुल 77 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी की थी. अहमदाबाद में हुए धमाकों के तार प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े हुए थे और दिसंबर 2009 में कुल 78 लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी. बाद में एक आरोपी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद कुल अभियुक्तों की संख्या 77 रह गई. वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि चार आरोपियों की गिरफ्तारी बाद में हुई थी और उनके मामलों की सुनवाई अब भी पूरी होनी बाकी है.

अहमदाबाद बम ब्लास्ट की टाईम लाइन

• गोधराकांड के बाद हुए दंगो का बदला लेने षड्यंत्र हुआ 

• वाघमोर के जंगलो में ब्लास्ट की तालीम ली 

• आतंकियों की एक टीम ट्रेन द्वारा अहमदाबाद पहुंची 

• मुंबई से कार में विस्फोटक लाये गए 

• कार से अहमदाबाद और सूरत में विस्फोट पहुंचे 

• 13 साइकिल खरीदी और स्थानिक स्लीपर सेल का उपयोग किया गया

• मुफ़्ती अबू बशीर ने स्लीपर सेल तैयार किया था 

अहमदाबाद पुलिस ने 99 आतंकियों की पहचान की . अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 शिकायतें दर्ज हुई और इन 35 केसों को एक साथ जोड़ा गया.

• 82 आतंकियों को पकड़ा गया 

• 3 आतंकी पाकिस्तान फरार हो गए 

• 3 आतंकी अलग अलग राज्यों में सजा काट रहे है 

• 1 आरोपी सीरिया भाग गया 

• 1 आरोपी एनकाउंटर में मारा गया 

उल्लेखनीय है कि 16 जुलाई 2008 में 20 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में कुल 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे. करीब 13 साल पुराने इस मामले पर कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने 49 को दोषी करार दिया है. मामले में ट्रायल बीते साल सितंबर में खत्म हो गया था. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने इस हाईप्रोफाइल मामले में अपना फैसला सुनाया. हालांकि, इससे पहले भी कई बार फैसले के लिए अधिसूचित किया गया था, लेकिन बाद में स्थगित कर दिया गया था.

एक दशक से भी ज्यादा लंबे समय तक चले ट्रायल में अभियोजन ने 1100 गवाहों से सवाल-जवाब किए थे. खास बात है कि सुरक्षा कारणों के चलते इस संवेदनशील मामले की शुरुआती सुनवाई साबरमती सेंट्रल जेल में हुई और अधिकांश कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. ट्रायल के दौरान करीब 26 गवाहों को स्टार विटनेस माना गया था. अदालत के साथ-साथ अभियोजन पक्ष ने भी इनकी सुरक्षा के लिए पहचान छिपाने के लिए विशेष प्रावधान सुनिश्चित किए थे.

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