क्रिसमस की रात आसमान से गुजरेगा 200 मीटर का ऐस्टरॉइड, 36 हजार किमी प्रति घंटा होगी स्पीड

पहली बार इस साल ऐन क्रिसमस पर्व के दिन सौरमंडल में आतिशबाजी का नजारा देखने को मिलेगा। आने वाली 25 दिसंबर को एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरने वाला है।

36 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरने वाला एस्टेरॉयड वैज्ञानिकों के शोध कार्य के लिए विशेष माना जा रहा है। ‘नियर अर्थ ऑब्जेक्ट एस्टेरॉयड’ यानि धरती के काफी करीब आने पर इसे खतरनाक भी माना जाता है। हालांकि इस बार इसके सुरक्षित गुजरने की पुष्टि की जा रही है।

लगभग 200 मीटर व्यास वाला एस्टेरॉयड आने वाली 25 दिसंबर यानि ऐन क्रिसमस के दिन पृथ्वी के सबसे करीब होगा, जबकि 12 दिसंबर को यह सूर्य के ठीक विपरीत छोर पर होगा।

नैनीताल स्थित आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.शशिभूषण पांडे ने बताया कि 22 दिसंबर 2014 को ‘2014 एसडी 224’ नामक एस्टेरॉयड को 43 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर खोजा गया था।

इस दौरान इस बात की पुष्टि की गई थी कि यह आने वाले समय में धरती के काफी करीब से गुजरेगा। हालांकि इससे पूर्व 11 अगस्त 2014 को यह धरती के नजदीक आया था। उन्होंने कहा कि इसके घूमने के लिए छह वर्ष की आवृत्ति तय है।

यह सितंबर 2020 में सूर्य के काफी पास देखा गया। बीती 23 सितंबर को इसका प्लूटो के बराबरी से कुछ कम आकलन किया गया। आगामी 12 दिसंबर को यह एस्टेरॉयड सूर्य के ठीक दूसरे छोर पर होगा, वहीं 25 दिसंबर को धरती से तीन मिलियन किलोमीटर यानि 30 लाख किमी की दूरी से गुजरेगा।

इसकी रफ्तार 36 हजार किमी प्रति घंटा होगी। उन्होंने बताया कि यह एस्टेरॉयड ऐसे ग्रुप के होते हैं, जोकि पृथ्वी के करीब होते हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि पृथ्वी के पास होने के कारण ऐसे एस्टेरॉयड को खतरनाक माना जाता है। 

क्रिसमस से पहले दो एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब आएंगे
इस बार खास क्रिसमस के दिन यानि 25 दिसंबर को ‘2014 एसडी 224’ एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब होगा, लेकिन इसके अलावा भी इससे पहले दो ऐसे एस्टेरॉयड हैं, जो पृथ्वी के करीब पहुंचेंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, क्रिसमस से एक दिन पहले यानि 24 दिसंबर को भी दो एस्टेरॉयड पृथ्वी के पास देखे जाएंगे।

इनमें से एक का नाम ‘2012 एक्सई 133’ है। इसकी मोटाई लगभग 120 मीटर है। वैज्ञानिक पृथ्वी के करीब आने वाले सभी एस्टेरॉयड्स पर नजर बनाए हुए हैं। इनके बारे में अधिक से अधिक जानकारियां एकत्र करना वैज्ञानिकों का उद्देश्य है।

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