बिहार चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह शुरू हो गया है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के ताजा बयान को लेकर सोमवार को कहा कि यह कांग्रेस के लिए आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श करने का समय है।
दरअसल, सिब्बल ने अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में कहा है कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।
सिब्बल ने सोमवार को अपने इस साक्षात्कार का लिंक साझा करते हुए ट्वीट किया तो इसे रिट्वीट करते हुए कार्ति चिदंबरम ने कहा, ‘‘ यह आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श करने का समय है।”
तारिक अनवर भी मंथन की बात कह चुके हैं
सिब्बल से पहले बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर भी पार्टी के अंदर मंथन होने की बात कह चुके हैं। बिहार चुनाव के परिणामों के बाद तारिक ने कहा कि पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए। उधर महागठबंधन की राजद और लेफ्ट पार्टियां पर भी लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रही हैं।
आत्ममंथन की उम्मीद कैसे करें?
सिब्बल ने तारिक अनवर के बयान का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि एक सहयोगी ने कांग्रेस के अंदर मंथन की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, ‘अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता हैं। हमें पता है सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है। मुझे लगता है कि इसका समाधान भी सबको पता है। कांग्रेस पार्टी भी जानती है, लेकिन वो इन समाधान को अपनाने से कतराते हैं। अगर वो ऐसा करते रहेंगे ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। यह कांग्रेस की दुर्दशा की स्थिति है जिससे हम सब चिंतित हैं।’
सीडब्ल्यूसी को लोकतांत्रिक बनाना होगा
सिब्बल से जब पूछा गया कि जब कांग्रेस को समाधान पता है तो इसका शीर्ष नेतृत्व इसे अपनाने से क्यों हिचकता है? इस सवाल पर उन्होंने बिना लाग-लपेट कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कांग्रेस कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी के सदस्य मनोनीत होते हैं। सीडब्ल्यूसी को कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक बनाना होगा। आप नामित सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर कांग्रेस पार्टी चुनाव दर चुनाव कमजोर क्यों होती जा रही है?
उल्लेखनीय है कि बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की घटक कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई, जबकि उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के सत्ता से दूर रह जाने का एक प्रमुख कारण कांग्रेस के इस निराशाजनक प्रदर्शन को भी माना जा रहा है।