गलत मुकदमे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, दिशा-निर्देश बनाने और लागू करने की अपील

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सरकारी मशीनरी के माध्यम से गलत तरीके से अभियोजन के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश बनाने और लागू करने के लिए केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक सनसनीखेज मामले की पृष्ठभूमि में जनहित याचिका दाखिल की है, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 28 जनवरी को रेप के दोषी विष्णु तिवारी को निर्दोष घोषित किया था और कहा था कि एफआईआर का उद्देश्य भूमि विवाद से संबंधित था.

विष्णु को रेप और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने के बाद 16 सितंबर 2000 को गिरफ्तार किया गया था और वो 20 सालों से जेल में था. अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गलत अभियोजनों के पीड़ितों के मुआवजे के लिए दिशा-निर्देश बनाने के लिए अपने पूर्ण संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने और केंद्र और राज्यों को इन्हें लागू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. जनहित याचिका में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया है.

ललितपुर जिले की एक दलित महिला ने सितंबर 2000 में विष्णु तिवारी पर रेप करने का आरोप लगाया था. उस वक्त विष्णु 23 साल के थे. पुलिस ने विष्णु तिवारी पर आईपीसी की धारा 376, 506 और एससी/एससी एक्ट की धारा 3 (1) (7), 3 (2) (5) के तहत मामला दर्ज किया था. मामले की जांच तत्कालीन नरहट सर्कल अधिकारी अखिलेश नारायण सिंह ने की थी और इसके बाद सेशन कोर्ट ने विष्णु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

फिर उन्हें आगरा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया जहां वह इतने सालों से बंद हैं. 2005 में विष्णु ने हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन 16 साल तक मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. बाद में राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण ने वकील श्वेता सिंह राणा को उनका बचाव पक्ष का वकील नियुक्त किया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here