सेना ने सिक्किम में चलाया ‘ऑपरेशन हिम राहत’, 370 पर्यटकों को बचाया

पूर्वोत्तर के सिक्किम राज्य में भारी हिमपात में फंसे 370 पर्यटकों को सेना ने पुलिस और प्रशासन के मदद से बचाया। सेना का यह ऑपरेशन शनिवार को दिन में शुरू हुआ और देर रात तक चलता रहा। सभी पर्यटकों को बचाने के बाद सेना, पुलिस और प्रशासन ने राहत की सांस ली।

ऑपरेशन हिम राहत के दौरान सेना के जवान

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि सिक्किम में भारी हिमपात हुआ और नाथुला और त्सोमगो (चांगगू) झील से लौट रहे लगभग 400 पर्यटकों के साथ लगभग 100 वाहन फंस गए। नागरिक पुलिस और नागरिक प्रशासन के सहयोग से त्रिशक्ति कोर के सैनिक तुरंत हरकत में आए और बचाव अभियान ऑपरेशन हिम राहत शुरू किया।

पर्यटकों को चिकित्सा सहायता प्रदान करती सेना

शनिवार देर रात तक राहत कार्य जारी रहा। पर्यटकों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया और आश्रय, गर्म कपड़े, चिकित्सा सहायता और गर्म भोजन प्रदान किया गया। सैनिकों ने 178 पुरुषों, 142 महिलाओं और 50 बच्चों सहित 360 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था की। सुबह सड़क खुलवाने के लिए जीआरईएफ से विस्तृत समन्वय किया गया।

वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करती सेना

रविवार सुबह जीआरईएफ डोजर्स की मदद से सड़क को खोलने का काम शुरू किया गया। सुबह 9 बजे तक, वाहनों को गंगटोक ले जाने के लिए सड़क को साफ कर दिया गया। सैनिकों की त्वरित प्रतिक्रिया ने खराब मौसम की स्थिति में फंसे हुए पर्यटकों को राहत और आराम प्रदान किया और गंगटोक में वाहनों की आवाजाही को सक्षम करने के लिए सड़क की शीघ्र निकासी सुनिश्चित की।सिक्किम के फंसे पर्यटकों और नागरिक प्रशासन ने सेना द्वारा प्रदान की गई तत्काल राहत के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। भारतीय सेना हिमालय के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीमा की रक्षा करते हुए पर्यटकों और स्थानीय आबादी को सहायता प्रदान करने में हमेशा सक्रिय रहती है।

सेना के जवान को सैल्यूट देते पर्यटक

हमारे पास शब्द नहीं हैं, ये देव नहीं देवदूत हैं
एक पर्यटक ने कहा, यह अनुभव कभी नहीं भूलने वाला अनुभव था। बहुत मुश्किल समय देखा हमने। हमारी सेना जो किया, उसके लिए तो हमारे पास शब्द ही नहीं हैं, कहते हुए भावुक हुए एक पर्यटक। जिस तरह से हमें बचाया, जिस तरह से हमारी देख-भाल की। धन्यवाद शब्द तो बहुत छोटा है, हमारे पास शब्द ही नहीं है। हर पर्यटक अपने अपने तरीके से सेना का आभार जता रहा था, को हाथ जोड़ रहा कर तो कोई सेल्यूट करके अपना धन्यवाद दे रहा था। एक पर्यटक ने कहा, हमें जीवन देने वाले ये तो साक्षात्क भगवान हैं। ये देव ही नहीं बल्कि देवदूत हैं।

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