चीन से उग्र हुए तनाव के बीच सेना और सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने आज 22 दिसंबर को 85,000 करोड़ रुपये से अधिक के 24 प्रस्तावों को मंजूरी दी। रक्षा अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये प्रस्ताव स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए अनुमोदित हैं। डीएसी की यह अभूतपूर्व पहल न केवल सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करेगी बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा उद्योग को भी पर्याप्त बढ़ावा देगी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों के बारे में रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इनमें से भारतीय सेना के लिए 6, भारतीय वायु सेना के लिए 6, भारतीय नौसेना के लिए 10 और भारतीय तट रक्षक के लिए दो प्रस्ताव शामिल हैं। रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है उनमें भारतीय सेना के लिए माउंटेड गन सिस्टम, बख्तरबंद वाहन और रडार, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स की खरीद भी शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि स्वीकृत प्रस्तावों में हमारे सैनिकों के लिए उन्नत सुरक्षा स्तरों के साथ बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद भी शामिल है।
साथ ही रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया है कि भारतीय वायुसेना को और अधिक घातक क्षमताओं के साथ और मजबूत किया जाएगा। इसके लिए नई रेंज वाली मिसाइल प्रणाली, लंबी दूरी वाले बम, पारंपरिक बमों के लिए रेंज ऑग्मेंटेशन किट और उन्नत निगरानी प्रणाली को शामिल किया जाएगा।
वहीं, भारतीय तट रक्षक बल के लिए अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद इन प्रस्तावों के तहत की जाएगी। जिसके जरिए भारतीय तट रक्षक बल अपनी तटीय क्षेत्रों में निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक बढ़ाएगी।