बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक 2020 लोकसभा से पारित

सहकारी बैंकों के विनियमन में रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अधिक अधिकार देने से संबंधित बैंकिंग विनियम (संशोधन) विधेयक, 2020 आज लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में विधेयक पर सदन में तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा ‘‘सहकारी बैंकों का विनियमन 1965 से ही आरबीआई के पास है। हम कुछ नया नहीं कर रहे। जो नया कर रहे हैं वह जमाकर्ताओं के हित में है। …यह कानून जर्माकर्ताओं की रक्षा के लिए लाया गया है।” उन्होंने कहा कि यह संशोधन सहकारी बैंकों को टेक ओवर करने के लिए भी नहीं लाया गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि आरबीआई को कुछ शक्तियां देने के लिए विनियमन हो रहा है। लोकसभा में वित्त मंत्री ने कुछ बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं बताई।

विपक्ष की सभी आशंकाओं का एक-एक कर जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि यह कानून केंद्र सरकार को सहकारी बैंकों के विनियमन का अधिकार नहीं देता। यह सिर्फ आरबीआई को सहकारी बैंकों की बैंकिंग गतिविधियों के विनियमन का अधिकार देता है। हालाँकि उन्होंने पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के बारे में अपने जवाब में कोई जिक्र नहीं किया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना सदस्यों ने चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। विपक्ष ने इस विधेयक को सहकारी संगठनों को लेकर राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया था। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार सहकारी बैंकों के निजीकरण का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे सहकारी बैंकों की स्वायत्तता खतरे में पड़ जायेगी।

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