बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: ईडी ने टीएमसी नेता शांतनु बनर्जी को किया गिरफ्तार

बंगाल शिक्षा घोटाले में जांच एजेंसी ने एक और बड़ी गिरफ्तार की है. टीएमसी नेता शांतनु बनर्जी को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है. पांच घंटे की लंबी पूछताछ के बाद शांतनु को गिरफ्तार किया गया है. जोर देकर कहा गया है कि टीएमसी नेता के बयान में बिखराव था. वे जो कह रहे थे, वो उनके निवेश से बिल्कुल भी मेल नहीं खा रहा था. ऐसे में जैसे ही हेडक्वाटर्स से सिग्नल मिला, उनकी गिरफ्तारी हो गई. अभी तक टीएमसी या फिर शांतनु बनर्जी की तरफ से इस कार्रवाई पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है.

जानकारी के लिए बता दें कि टीएमसी नेता कुणाल घोष के साथ शांतनु का नाम आया था. इस साल 20 जनवरी को ईडी ने शांतनु बनर्जी के घर पर रेड मारी थी. उसके बाद ही ईडी ने समन भेजा था और टीएमसी नेता से कई घंटों की पूछताछ हुई. बताया जा रहा है कि शांतनु के बयान गुमराह करने वाले थे. वो वास्तविकता से दूर थे और कई तथ्यों से उलट दिखाई दे रहे थे. वैसे इससे पहले बंगाल के शिक्षा भर्ती घोटाले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने टीएमसी नेता माणिक भट्टाचार्य को बड़ा झटका दिया था. उनकी सारी प्रॉपर्टी सीज करने का आदेश दिया गया था. 

असल में कोर्ट ने उन्हें इसी मामले में पांच लाख रुपये का जुर्माना देने को कहा था. लेकिन माणिक भट्टाचार्य ने वो जुर्माना नहीं चुकाया, ऐसे में अब ईडी को उनकी सारी प्रॉपर्टी कुर्क करने का आदेश दिया गया.  अब इस एक मामले में सबसे बड़ी गिरफ्तारी पार्थ चटर्जी की रहे है. अर्पिता मुखर्जी भी इस मामले की एक अहम कड़ी हैं. नोटों के पहाड़ सामने आए हैं. केस की बात करें तो याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला है. इतना ही नहीं कुछ शिकायतें ऐसी भी थीं, जिनमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी. जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा पास होना अनिवार्य है. इसी तरह से राज्य में 2016 में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13000 भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थीं.

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