अग्निपथ भर्ती योजना (Agnipath Scheme) के जरिए देश के सशस्त्र बलों ( Indian Security Forces) में शामिल होने वाले अग्निवीरों (Agniveer) का नियमित सैनिकों के रूप में चयन के लिए अंतिम योग्यता सूची तैयार करने से पहले उनका 4 वर्षों की सेवा के दौरान कई व्यक्तिपरक मापदंडों पर लगातार मूल्यांकन किया जाएगा. सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ( Deputy Chief Of Army Lt Gen BS Raju) ने एक इंटरव्यू में बीते दिनों मूल्याकंन की पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया. 4 साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को नियमित करने की प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि 6 महीने के प्रशिक्षण के दौरान भी विशेषताओं को चिन्हित किया जाएगा.
विभिन्न मापदंडों पर सभी अग्निवीरों का सतत मूल्यांकन
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि चार साल की सेवा के बाद नियमित करने या कौशल विकास प्रमाणपत्र लेकर दूसरे करियर में जाने के निर्णय को लेकर हर अग्निवीर को पक्का भरोसा होगा कि वह एक पारदर्शी परीक्षण से गुजरा है. उन्होंने बताया कि सेना ने अग्निवीरों के परीक्षण के लिए की विशेष प्रावधान बनाए हैं. सबका सतत मूल्यांकन होता रहेगा. लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि 6 महीने की प्रशिक्षण अवधि पूरा करने के बाद सभी अग्निवीरों का पहला मूल्यांकन होगा. फिर हर साल के अंत में, उनकी शारीरिक फिटनेस, फायरिंग स्किल और बाकी ड्रिल्स जैसे कई मापदंडों के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाएगा.
चार साल में देश के लिए सर्वश्रेष्ठ सैनिकों का चयन होगा
सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने बताया कि अग्निवीरों का उनके रवैये और योग्यता जैसे मापदंडों पर कुछ व्यक्तिपरक मूल्यांकन भी होगा. अग्निवीर अपनी सेवा के दौरान जिन प्लाटून कमांडर, कंपनी कमांडर और कमांडिंग ऑफिसर से बातचीत करेंगे वे सभी उपरोक्त मानदंडों के आधार पर उनका मूल्यांकन करेंगे. उन्होंने बताया कि यह सब एक साथ रखा जाएगा. इसे इकट्ठा करके साल के अंत में सिस्टम में अपलोड कर दिया जाएगा. इसके बाद कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा. दूसरे और तीसरे वर्ष के अंत में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी. चौथे साल के अंत में पूरे डेटा को एक साथ रखा जाएगा. इसी के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाएगी. हमें विश्वास है कि इस पूरी प्रक्रिया से देश के लिए सर्वश्रेष्ठ सैनिकों का चयन होगा.
कई चरणों में होगी सभी अग्निवीरों की स्पेशल ट्रेनिंग
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि प्रशिक्षण अवधि के दौरान सभी अग्निवीर को व्यक्तिगत परामर्श ( काउंसलिंग) दिया जाएगा. उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा. पूरा विचार सतत मूल्यांकन किए जाने का है. उन्होंने कहा कि सतत मूल्यांकन की यह प्रक्रिया अग्निवीर के सेवा अवधि के दौरान विभिन्न चरणों में पूरी होगी. इसमें प्रशिक्षण अवधि और उसके बाद के वर्षों के लिए अलग-अलग वेटेज शामिल हैं. उनके प्रशिक्षण के लिए 4 साल का लंबा समय है. शुरुआत के छह महीने प्रशिक्षण की गहनता अधिक होगी.
नियमित सैनिक के बाद प्रशिक्षक भी बनेंगे अग्निवीर
उन्होंने बताया कि 6 महीने के बाद जरूरतों के आधार पर, बटालियन कमांडर हरेक अग्निवीर को विभिन्न स्किल सेट विकसित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंगे. उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि बटालियन की परिचालन आवश्यकता को पूरा किया जा सके. इसके अलावा हम कल को उसी के साथ युद्ध में जा सकें. एक उन्नत पाठ्यक्रम के लिए, जैसे प्रशिक्षक बनने के लिए एक अग्निवीर 4 साल बाद और अधिक कुशल बनाया जा सकता है. 4 साल के दौरान अग्निवीरों की अपस्किलिंग होगी, लेकिन प्रशिक्षक बनने के लिए विशेष प्रशिक्षण 4 साल बाद दिया जाएगा.

अग्निपथ योजना में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा
सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया कि अग्निपथ योजना अभी शुरुआती चरण में है. इस परियोजना को बहुत नियंत्रित तरीके से है शुरू किया जा रहा है. हमें इसका बेहतर आकलन करने और आवश्यकता पड़ने पर बदलाव करने का समय भी मिलेगा. फिलहाल किसी बदलाव की जरूरत नहीं है. आगे चलकर अगर कुछ बदलाव की जरूरत होगी तो किया जा सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि रक्षा मंत्री के लिए योजना में किसी और बदलाव की मांग करने का प्रावधान मौजूद है. उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रोग्राम को लेकर देश के युवाओं की प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी.
सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए युवा सकारात्मक
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर कुछ राज्यों में शुरुआती विरोध के बावजूद देश के युवा सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में आगे आएंगे. उन्होंने कहा कि सेना ने इस योजना में मानव पूंजी का प्रबंधन और युवा आयु प्रोफाइल प्राप्त करने के लिए आवश्यक परिवर्तन, चयन और प्रशिक्षण प्रणाली के पैरामीटर जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है. इस योजना के तहत तत्काल कोई राजस्व व्यय नहीं किया जाएगा, क्योंकि सेना की प्रशिक्षण क्षमता भर्ती की गई संख्या से अधिक है. छठे या सातवें साल के बाद प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने की जरूरत हो सकती है. तब स्थिति के आकलन के आधार पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाया जा सकता है.
चार साल बाद कार्यमुक्त अग्निवीरों का क्या होगा
सेना उप प्रमुख ने कहा कि डिप्लोमा के साथ सुरक्षा बल में शामिल होने वालों के लिए प्रशिक्षण योजना के दौरान हासिल अतिरिक्त कौशल अग्निवीरों को डिग्री कोर्स के लिए योग्य बनाएगी.अग्निवीर सेना में अपने कार्यकाल के दौरान क्रेडिट अंक जुटाएंगे. जिसे बाद में कम वर्षों के भीतर स्नातक पूरा करने के लिए यूज किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना युवाओं को 4 साल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल होने का मौका देने के लिए तैयार की गई है. युवा सेना में सेवा करने की कठोरता और राष्ट्र सेवा का आनंद लें. कार्यकाल के दौरान आर्थिक मदद और कार्यकाल के बाद सेवा निधि पैकेज से एकमुश्त रकम प्राप्त होगी. साथ ही करियर चुनने के लिए ढेरों विकल्प मौजूद होंगे.