सीजेआई बीआर गवई का ट्रिब्यूनल के गैर-न्यायिक सदस्यों पर दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) और अन्य न्यायाधिकरणों के गैर-न्यायिक सदस्यों को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि कई गैर-न्यायिक सदस्य, जो अक्सर पूर्व नौकरशाह होते हैं, सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने से कतरा सकते हैं। सीजेआई ने यह विचार केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन के दौरान साझा किया।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा कि प्रशासनिक न्यायाधिकरण न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच एक विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने बताया कि न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों का मिश्रण न्याय प्रणाली की ताकत है, लेकिन सदस्यों को लगातार प्रशिक्षण और समान आचार व पात्रता मानकों का पालन करना आवश्यक है।

सीजेआई गवई ने कहा, “न्यायिक सदस्यों को लोक प्रशासन की बारीकियों की समझ होनी चाहिए, जबकि प्रशासनिक सदस्यों को कानूनी तर्क-वितर्क में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। कुछ सदस्य अपनी पिछली सेवाओं के कारण सरकार के खिलाफ निर्णय लेने से बचते हैं, जिस पर उन्हें विचार करना चाहिए।”

ट्रिब्यूनल निर्णयों के खिलाफ अपील
सीजेआई ने ट्रिब्यूनल के फैसलों के खिलाफ बढ़ती अपीलों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कई मामलों में कैट और हाईकोर्ट के निष्कर्ष समान होते हैं, फिर भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाती है। उनका मानना है कि यदि किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा अपील की पात्रता तय की जाए, तो लंबित मामलों में कमी आ सकती है।

सदस्यों की सेवा शर्तों पर सुझाव
सीजेआई ने ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा शर्तों पर पुनर्विचार की जरूरत जताई। उनका कहना था कि अगर उच्च न्यायालयों के रिटायर्ड जज और योग्य अधिकारी ट्रिब्यूनल में काम करें, तो सरकार को उनके लिए समान और स्पष्ट नियम बनाने चाहिए।

न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों का सहयोग
सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश और वकील दोनों मिलकर न्याय व्यवस्था को प्रभावी बनाते हैं। उन्होंने नए विधि स्नातकों को न्यायिक सेवा परीक्षा में अनुभवहीन होने पर आने वाली चुनौतियों का उदाहरण भी दिया।

सीजेआई ने कहा कि न्याय प्रणाली में नागरिकों का विश्वास बनाए रखना सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, “सभी वादी अदालत में यह उम्मीद लेकर आते हैं कि उन्हें निष्पक्ष न्याय मिलेगा। न्यायाधीशों को इस जिम्मेदारी का सम्मान करना चाहिए।”

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने भी कहा कि न्यायाधिकरण लंबित मुकदमों को कम करने और न्याय प्रणाली को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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