उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ पर विवाद बढ़ते हुए अब बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँच गया है। अदालत ने कहा है कि फिल्म रिलीज से पहले इसे जजों को दिखाया जाएगा और उसके बाद ही आगे का आदेश जारी होगा।
फिल्म और विवाद
यह फिल्म सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बनाई है। निर्माताओं का कहना है कि यह शांतनु गुप्ता की जीवनी ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ पर आधारित है और इसे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से स्वीकृति भी मिली थी।
कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ
- 16 जुलाई को कंपनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) जानबूझकर फिल्म की प्रमाणन प्रक्रिया टाल रहा है। कोर्ट ने उस समय टिप्पणी की थी कि बोर्ड को समयसीमा के भीतर निर्णय लेना चाहिए।
- अगले दिन सीबीएफसी ने कहा कि दो दिन में फैसला देगा, लेकिन 21 जुलाई को उसने फिल्म का प्रमाणन आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया कि यह संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से जुड़ी है और उत्तर प्रदेश सरकार की आपत्तियाँ भी दर्ज हैं।
- 1 अगस्त को हाईकोर्ट ने पाया कि सीबीएफसी ने फिल्म देखे बिना ही निर्णय दे दिया। इसके बाद बोर्ड ने फिल्म देखने और उसके आधार पर नया निर्णय देने की बात कही।
- 6 अगस्त को सीबीएफसी ने कहा कि फिल्म कई दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती है और इसमें कुछ संवाद व दृश्य सामाजिक रूप से आपत्तिजनक हैं।
- इसके बाद निर्माताओं ने संशोधित आवेदन रिवाइजिंग कमेटी को भेजा, लेकिन 17 अगस्त को कमेटी ने भी इसे खारिज कर दिया।
निर्माताओं की आपत्ति और कोर्ट की टिप्पणी
निर्माताओं का कहना है कि सीबीएफसी ने मनमाने ढंग से उनसे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का एनओसी मांगा, जबकि बोर्ड का काम किसी निजी व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करना नहीं है। उन्होंने इसे अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।
अदालत ने सीबीएफसी की प्रक्रिया पर असंतोष जताया और कहा कि बोर्ड प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करने में असफल रहा है। कोर्ट ने साफ किया कि किसी आदेश पर पहुँचने से पहले वह स्वयं फिल्म देखेगा और रिवाइजिंग कमेटी के फैसले पर भी विचार करेगा।