गोल्डन गोवा का निर्माण हमारा लक्ष्य: जेपी नड्डा

गोवा विधानसभा चुनाव (Goa Assembly Election) को लेकर सभी दलों ने ताकत झोंक दी है. बीजेपी (BJP) फिर से सत्ता में आने के लिए पूरे जोर शोर से जुटी है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) मंगलवार को गोवा के मुरीदा फतोर्दा पहुंचे, जहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने विपक्षियों पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी को छोड़कर अन्य सभी दल अवसरवादी हैं. बीजेपी समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश करती है. हम ऐसा करने वाले एकमात्र पार्टी हैं, क्योंकि अन्य दल धर्म, जाति और वोट बैंक के आधार पर काम करते हैं.

जेपी नड्डा ने टीमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड देखने के लिए आपको पश्चिम बंगाल जाना चाहिए और वहां की गरीबी को देखनी चाहिए. पश्चिम बंगाल मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ अपराध समेत अन्य अपराधों में भी अव्वल है. उन्होंने कहा कि हमें गोवा को आगे ले जाना है और मनोहर पर्रिकर के सपने के अनुसार गोल्डन गोवा का निर्माण करना है.

बीजेपी ने जारी किया घोषणा पत्र

गोवा विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने मंगलवार को अपना घोषणा पत्र भी जारी कर दिया है. इसमें पार्टी ने जनता से कई बड़े वादे किए हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और गोवा बीजेपी अध्यक्ष सदानंद शेत तनवड़े की उपस्थिति में घोषणा पत्र जारी किया. इसमें गोवा को सशक्त बनाने, पर्यटन को बढ़ाने और गरीबी को खत्म करने जैसे बड़े वादे किए गए हैं.

कांग्रेस का घोषणा पत्र

वहीं कांग्रेस ने गोवा विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को अपना घोषणापत्र जारी किया. इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने वादा किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य में खनन गतिविधियां फिर से शुरू होंगी. चिदंबरम ने 14 फरवरी को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर को भी साझा किया. आपको बता दें कि गोवा में राजस्व का मुख्य स्रोत मानी जाने वालीं खनन गतिविधियों पर उच्चतम न्यायालय ने 2018 में रोक लगा दी थी.

राज्य के बजट के लिए तीन रास्ते- चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक चिदंबरम ने कहा कि राज्य के लिए समस्या संसाधन खोजने की नहीं है, बल्कि संसाधनों के आवंटन की है. उन्होंने कहा, ‘राज्य के बजट के लिए तीन रास्ते हैं- सरकार के अपने संसाधन, केंद्र सरकार के राजस्व का हिस्सा और केंद्र सरकार का अनुदान. चिदंबरम ने कहा कि धन का स्रोत कभी समस्या नहीं रहा है, लेकिन समस्या धन के आवंटन को लेकर है. अगर बुद्धिमानी और विचारशील सोच से धन का आवंटन किया जाता है, तो घोषणापत्र में जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है, उन्हें पांच साल में हासिल किया जा सकता है.

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