‘राज्य में दलितों पर हो रहा अत्याचार’, केंद्रीय मंत्री ने डीएमके सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने मंगलवार को आरोप लगाया कि तमिलनाडु में दलितों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहे हैं और द्रमुक सरकार के शासन में राज्य में राजनीतिक नेता भी सुरक्षित नहीं हैं। मुरुगन ने एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए दावा किया कि राज्य में हर साल दलितों के खिलाफ अत्याचार के दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं। 

डीएमके सरकार में बढ़ा दलितों के खिलाफ अत्याचार
मुरुगन ने मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि ‘पार्टी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष वी पी दुरईसामी के नेतृत्व में तमिलनाडु भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल शाम को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मिलेगा और उनसे इस मामले में उचित कार्रवाई करने की मांग करेगा।’

संवाददाता सम्मेलन में दुरईसामी सहित भाजपा की तमिलनाडु इकाई के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। मुरुगन ने कहा, ‘मई 2021 में द्रमुक के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में दलितों के खिलाफ अत्याचारों में जबरदस्त तेजी आई है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में हर साल दलितों के खिलाफ अत्याचार के 2,000 से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं।’

‘हर साल दलितों पर अत्याचार के दो हजार से ज्यादा मामले हो रहे दर्ज’
केंद्रीय मंत्री ने साल 2022 से दलितों के खिलाफ कथित अत्याचार की घटनाओं में तेजी और राज्य में भाजपा नेताओं पर हमले और हत्या की घटनाओं को लेकर स्टालिन सरकार पर हमला बोला। उन्होंने इसे स्टालिन सरकार की विफलता बताया। मुरुगन ने कहा कि ‘हाल ही में दलित नेता और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष के आर्मस्ट्रॉन्ग की हत्या कर दी गई थी। द्रमुक के शासनकाल में राजनीतिक नेता भी सुरक्षित नहीं हैं। डीएमके सरकार में अनुसूचित जाति के नेताओं और लोगों की कोई सुरक्षा नहीं है। द्रमुक सरकार में उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘डीएमके दावा करती है कि वह सामाजिक न्याय की अग्रणी है, लेकिन पार्टी इस विचार का पालन नहीं कर रही है। राज्य में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं के कारण सीएम स्टालिन को सामाजिक न्याय के बारे में बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है।’

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