रक्षा मंत्रालय का अमेरिकी सरकार संग 423 करोड़ का करार, नेवी को मिलेंगे एमके 54 टॉरपीडो

चीन और पाकिस्तान भारत के दोनों पड़ोसी देश इस वक्त एक साथ भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं। एक तरफ जहां पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर चीन एलएसी पर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लेकिन भारत भी अपने दुश्मन से निपटने के लिए कूटनीति के साथ ही अपनी ताकत में भी इजाफा करने में लगा हुआ है। भारत ने इस साल कई तरह के डिफेंस डील साइन किए हैं। भारत ने आज अमेरिका के साथ एक बड़ी सैन्य डील साइन की है। रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार संग 423 करोड़ का करार किया है। जिसके बाद भारतीय नौसेना को एमके 54 टॉरपीडो मिलने वाले हैं।

अमेरिकी सरकार के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर 

 रक्षा मंत्रालय ने आज 423 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के लिए एमके 54 टॉरपीडो और एक्सपेंडेबल (शैफ एंड फ्लेयर्स) की खरीद के लिए विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के तहत अमेरिकी सरकार के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। खबरों की मानें तो भारत अपने पी -8 आई विमान पर एमके 54 लाइटवेट टॉरपीडो का उपयोग करने का मन बना रहा है। भारत को अपने सशस्त्र बलों में इन प्रणालियों को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

क्या है एमके 54 टॉरपीडो 

एमके 54 एक उन्नत हल्का टॉरपीडो है जिसे अमेरिकी नौसेना के सहयोग से रेथियॉन इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसे पहले लाइटवेट हाइब्रिड टॉरपीडो के नाम से जाना जाता था। पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) टारपीडो का उपयोग गहरे और उथले पानी के साथ-साथ ध्वनिक वातावरण में भी किया जाता है। यह पानी के भीतर के लक्ष्यों को ट्रैक करने, वर्गीकृत करने और हमला करने में सक्षम है। सतह के जहाजों, फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों से लॉन्च के लिए डिज़ाइन किया गया, एमके 54 ने यूएस नेवी के मार्क 46 टारपीडो को बदल दिया। तटवर्ती और गहरे पानी के वातावरण दोनों में काम करने की क्षमता टारपीडो को पानी की गहराई के बावजूद किसी भी लक्ष्य को मारने में सक्षम बनाती है।  

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