दिल्लीः विदेश मंत्रालय ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब मामले पर पाक डिप्लोमैट को समन दिया

पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रही है। पाकिस्‍तान ने गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थल करतारपुर साहिब का प्रबंधन सिखों से छीन लिया है। पाकिस्‍तान के इस कदम पर देशभर के सिख समुदाय में भारी आक्रोश है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी इस पर आपत्ति जताई है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने इस मामले में पाकिस्‍तानी राजनयिक को तलब किया है।

भारत ने गुरुवार को करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के प्रबंधन को सिख समुदाय से छीनने पर इमरान खान सरकार के फैसले को निंदनीय बताया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है। इस कदम से आक्रोशित सिख समुदाय ने सरकार को दिए प्रतिवेदन में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से गुरुद्वारा प्रबंधन एवं रखरखाव का काम एक गैर-सिख निकाय को सौंपने पर नाराजगी जताई थी।

सिख समुदाय ने प्रबंधन एवं रखरखाव का काम गैर-सिख निकाय इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को सौंपने पर चिंता जताया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के प्रबंधन एवं रखरखाव का काम गैर-सिख निकाय को सौंपने का एकतरफा फैसला अत्यधिक निंदनीय है। यह कदम करतारपुर साहिब गलियारे और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ भी है।

विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां न केवल पाकिस्तान की इमरान खान के नेतृत्‍व वाली सरकार के साथ साथ उसके धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और कल्याण के संरक्षण के बड़े बड़े दावों की पोल खोलती है। पाकिस्तान की सरकार को जल्‍द से सिखों को पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के मामलों के प्रबंधन के अधिकार उन्‍हें दोबारा सौंप देना चाहिए।

उल्‍लेखनीय है कि भारत और पाकिस्‍तान ने पिछले साल नवंबर में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा साहिब तक गलियारा खोलकर दोनों देशों के सिख समुदाय के लोगों को जोड़ने का ऐतिहासिक कदम उठाया था। बता दें कि चार किलोमीटर लंबा करतारपुर गलियारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को आपस में जोड़ता है।

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