महाराष्ट्र की सियासत में हनुमान चालीसा को लेकर चल रहे विवाद पर राजनीतीक बयानबाजी में एनसीपी नेता शरद पवार ने भी एंट्री ले ली है। सोमवार को पूणे में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक भावनाएं दिखाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने इस दौरान भाजपा और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना पर भी तंज कसा। भाजपा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता खोने के बाद कुछ लोग चिंतित हो रहे हैं।
शरद पवार ने कहा कि यह अच्छी बात है कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को लेकर अगर बैठक में कुछ अच्छा निकलता है तो उन्हें बहुत खुशी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले राजनीतिक विरोधियों के बीच दोस्ती का जज्बा हुआ करता था, लेकिन अब ‘अवांछनीय बातें’ देखने को मिल रही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर समुदायों या वर्गों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश की जाती है, तो समाज में प्रतिकूल प्रभाव देखा जाएगा। महाराष्ट्र ने कभी इस तरह की स्थिति का अनुभव नहीं किया। हाल ही में, ऐसी चीजें हो रही हैं।
कुछ विपक्षी नेताओं के बयानों के बारे में पूछे जाने पर कि महाराष्ट्र में राज्य में राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता है, पवार ने कहा कि यह सच है कि सत्ता से बाहर होने के बाद कुछ लोग चिंतित हो जाते हैं। राकांपा प्रमुख ने कहा कि सत्ता आती है और जाती है, और चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यहां तंज कसते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी हमेशा दी जाती है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलता। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में हुए कोल्हापुर उपचुनाव के परिणाम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव की स्थिति बनती है, तो हाल ही में कोल्हापुर उपचुनाव के परिणाम ने दिखाया है कि किस तरह का परिणाम होगा।
इससे पहले महाविकास अघाड़ी सरकार के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने भाजपा पर निशाना साधा था। इस दौरान उन्होंने रवि राणा और उनकी पत्नी द्वारा हनुमान चालीसा के पाठ की घोषणा के पूरे प्रकरण को भारतीय जनता पार्टी की चाल बताया था। इतना ही नहीं भाजपा पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए साजिश कर रही है।
वहीं, हनुमान चालीसा को लेकर जारी विवाद के बीच निर्दलीय विधायक रवि राणा और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद मचे बवाल को लेकर भाजपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया था। भाजपा ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बची है। हालांकि इस दौरान भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग नहीं की थी। जिसपर महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने पलटवार किया था। उन्होंने कहा था कि यहां कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। मुंबई और महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था ठीक है, लेकिन कुछ लोग इसे बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की चाल है, ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सके।