केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को जल्द ही बंद किया जा सकता है। देश भर में डॉक्टरों द्वारा इस थेरेपी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। भारत में अगस्त में चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR, आईसीएमआर) द्वारा किए गए सबसे बड़े रेंडम सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई कि कोविड-19 रोगियों को फायदा पहुंचाने में प्लाज्मा थेरेपी नाकाम है। इस अध्ययन में पाया गया कि प्लाज्मा विशेष रूप से इलाज करा रहे मरीजों में मृत्यु दर को कम नहीं कर पा रही है और कोविड-19 से हालत बिगड़ने को संभालने में भी मददगार नहीं है।
अब तक, इसे कोविड-19 प्रोटोकॉल के राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन में एक प्रायोगिक उपचार के रूप में उपयोग की अनुमति दी गई है। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इसे जल्द ही बंद किया जा सकता है।
डॉ. भार्गव ने कहा, “हम अब राष्ट्रीय दिशानिर्देशों से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के लिए ज्वाइंट मॉनिटरिंग ग्रुप के साथ चर्चा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “यही चर्चा चल रही है और कमोबेश हम उसी ओर पहुंच रहे हैं।”
भार्गव की घोषणा ऐसे समय में आई है जब प्लाज्मा के लिए बड़े पैमाने पर कालाबाजारी की रिपोर्ट्स मिल रही हैं। प्लाज्मा को सिर्फ दान किया जा सकता है और इसका व्यापार नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय राजधानी और महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों ने प्राप्तकर्ताओं के साथ संभावित प्लाज्मा डोनर्स से मिलान के लिए प्लाज्मा बैंक भी स्थापित किए हैं।